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सफाई में और बदतर हुआ अपना शहर, देश में 379वां स्थान https://ift.tt/2FKhGyj

सफाई के मामले में इंदाैर लगातार चाैथी बार देश में नंबर-1 शहर बना रहा। जबकि अपना भागलपुर दिसंबर 2019 में हुए सर्वेक्षण की तुलना में 20 अंक और पीछे जाकर 379वां रैंक पर पहुंच गया। यह खुलासा केंद्र सरकार द्वारा जारी स्वच्छता सर्वेक्षण रिपोर्ट में हुआ है। 31 दिसंबर 2019 काे जारी सर्वेक्षण में 359वें रैंकिंग में आया था। जबकि इससे पहले 2018 में 452वां रैंक आया था। अब तक में मात्र एक बार 2017 में 275वें स्थान पर भागलपुर नगर निगम आया था। जबकि 2017 से पहले 350 वां स्थान पर भागलपुर हुआ करता था।

यह सर्वेक्षण देशभर के दस लाख तक की आबादी वाले 382 शहराें में किए गए थे। दरअसल निगम प्रशासन की ओर से स्वच्छता काे लेकर किसी तरह की तैयारी ग्राउंड लेवल पर 2016 के बाद से नहीं की जा रही है। जाे कार्य हाे रहे हैं, वह ग्राउंड रियलिटी ही हैं। इसलिए जाे हाे रहा है, टीम काे भी वही दिखाया जा रहा है। इसमें पहले से किसी तरह की तैयारी नहीं की जा रही है। रूटीन कार्य काे ही दिखाया जाता है। इससे पहले हर साल सर्वेक्षण टीम आने से पहले तैयारी की जाती थी ताे रैंकिंग भी अच्छी आती थी।

पिछड़ने की तीन बड़ी वजह
1. पिछड़ने की सबसे बड़ी वजह अफसराें का माॅनीटरिंग सिस्टम से पकड़ कमजाेर हाेना है।
2. निगम खुद भी सही तरीके से हालात की समीक्षा नहीं करती है।
3. जब टीम आती है ताे कोई तैयारी उस वक्त भी कंपटीशन में भाग लेने के लिए नहीं किए जाते हैं।
अभी ये है सूरत-ए-हाल
1. डोर-टू-डोर कूड़ा उठाव के लिए कुछ वार्डों में ही सिटी बजा कर कचरा उठाए जा रहे हैं।
2. सिर्फ संडे को ही शहर के मेन रोड की सफाई होती है, गलियों में कूड़ा जमा ही रहता है।
3. कूड़ा निष्तारण के लिए उपाय नहीं, सिर्फ कनकैथी डंपिंग ग्राउंड में कुछ इलाकाें का हो रहा है डंप।

इन तीन काम से हो सकता है सुधार
1. दो पालियों में नियमित सफाई हो और डोर-टू-डोर कचरे का कलेक्शन हो।
2. पॉलीथिन के इस्तेमाल व बिक्री पर सख्ती हो।
3. नियमित फॉगिंग हो और डिसल्टिंग मशीन से नियमित नाले की उड़ाही हो।

डेटा के आधार पर हुआ है सर्वेक्षण ग्राउंड चेकिंग नहीं की गई
इस बार का सर्वेक्षण जून-जुलाई में हुआ था। लेकिन सिर्फ एजेंसी ने हमारे यहां के संसाधनाें का डेटा मांगा था, उसी आधार पर किया गया है। ग्राउंड पर आकर किसी ने चेक नहीं किया था।
- सत्येंद्र प्रसाद वर्मा, पीआरओ, निगम



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जैन मंदिर की इन सड़कों जैसे हालात से ही पिछड़ गया अपना शहर।


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