बिहार की एनडीए सरकार को लेकर लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान के तेवर में कोई नरमी नहीं आई है। शनिवार को पार्टी पदाधिकारियों की बैठक में उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि वे आगे भी राज्यहित के मुद्दे उठाते रहेंगे। अब इसे कोई आलोचना समझ ले तो उन्हें कुछ नहीं कहना। पार्टी राज्य के लोगों के प्रति अपना दायित्व निभाती रहेगी। उन्होंने तमाम मुद्दों पर विचार के लिए जल्द संसदीय बोर्ड की बैठक बुलाने की घोषणा की।
उन्होंने पार्टी पदाधिकारियों से अपना राजधर्म निभाने की अपील की। कहा- जनहित के मुद्दों से पार्टी पीछे हटने वाली नहीं। उनकी प्राथमिकता चुनाव नहीं है। उनकी चिंता कोरोना संक्रमण और बाढ़ की विभीषिका है, जिससे लोग परेशान हैं।
हमारी फिक्र कोटा जाकर करोड़ों खर्च कर देने वाले गरीब छात्राें को लेकर है। क्यों नहीं हम उन्हें वैसी सुविधा बिहार में दे सकते हैं? हम इस पर काम करना चाहते हैं। अब इसे कोई कैसे कमी निकालना या आलोचना मान सकता है? चिराग सोमवार को पार्टी नेताओं के साथ सीधा संवाद करेंगे।
केंद्र के कारण बिहार में हो रहे विकास व कल्याणकारी कार्य
चिराग ने कहा कि जदयू नेतृत्व लालू प्रसाद के 15 साल बनाम अपने 15 साल को मुद्दा बनाना चाहता है। पर, यह कैसी तुलना है? यदि राजद का शासन जंगलराज था तो सरकार बनाने उसके पास क्यों गए? बिहार में जो कुछ भी काम हो रहा है, वह केंद्र के पैसे से। चाहे हर घर बिजली हो, सड़क या अन्य कल्याणकारी कार्य। अभी गरीबों को दिया जाने वाला मुफ्त अनाज भी केंद्र के कारण ही मिल रहा है। ये तो कानून व्यवस्था बनाए रखने में भी विफल हैं।
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