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आयोग की गाइडलाइन को सत्तापक्ष ने सराहा, विपक्ष बोला- समय ठीक नहीं https://ift.tt/31kLKZM

चुनाव आयोग ने शुक्रवार को रैलियाें व प्रचार को लेकर विस्तृत गाइडलाइन जारी की। सत्तापक्ष ने जहां इसका स्वागत किया, इसे सराहा। वहीं राजद और कांग्रेस ने कहा कि यह समय चुनाव के लिए ठीक नहीं है। यदि आयोग ने दिशा-निर्देश जारी किया है तो उसका पालन किया जाएगा। जनहित में लिए गए निर्णय का पालन करेंगे।

भाजपा: आयोग ने दिशा-निर्देश जारी कर अनिश्चितता की स्थिति खत्म की

उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि चुनाव आयोग ने बिहार में चुनाव के लिए दिशा-निर्देश जारी कर अनिश्चितता की स्थिति समाप्त कर दी है। उन्हाेंने शुक्रवार को ट्वीट किया- कोरोना के बहाने राजद चाहता था कि चुनाव टल जाए या मतदान हो, तो बैलेट पेपर के जरिए, ताकि लाठी में तेल पिलाने वाली पार्टी को बूथ लूट का मौका मिले।

आयोग ने राजद की मांग ठुकरा कर निष्पक्ष, स्वतंत्र और सुरक्षित चुनाव के प्रति जनता का भरोसा बढ़ाया। चुनाव आयोग की गाइडलाइन से स्पष्ट है कि कोरोना काल में मतदाताओं की सुरक्षा का पूरा ध्यान रखा जाएगा। वहीं भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने कहा कि चुनाव आयोग के निर्णयों को लेकर पार्टी का मंतव्य पहले से स्पष्ट है। भाजपा चुनाव आयोग के सारे दिशा-निर्देश का पूरी तरह पालन करेगी। पार्टी उसके अनुरूप ही काम करेगी।

जदयू: केसी त्यागी बोले- स्वागतयोग्य है चुनाव आयोग की गाइडलाइन

जदयू के राष्ट्रीय प्रधान महासचिव केसी त्यागी ने चुनाव आयोग द्वारा जारी की गई गाइडलाइन का स्वागत किया है। शुक्रवार को उन्होंने कहा कि जदयू कोविड-19 के प्रोटोकॉल का पालन करते हुए विधानसभा का चुनाव कराए जाने का पक्षधर है। और, हमने तो बहुत पहले ही यह सुझाव आयोग को दे दिया था। चुनाव आयोग ने जो गाइडलाइन जारी की है।

उससे सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए बेहतर तरीके से चुनाव कराया जा सकेगा। सभी राजनीतिक दलों को इसका पालन करना होगा। हमारी पार्टी ने चुनाव आयोग से एक ही चरण में चुनाव कराने की मांग की है। हम चाहते हैं कि इस दौरान राष्ट्रीय महामारी एक्ट और विश्व स्वास्थ्य संगठन की कोविड-19 के संबंध में गाइडलाइन का पूरी तरह से पालन किया जाए।

राजद: आयोग का निर्णय स्वीकार, मगर यह गाइडलाइन व्यावहारिक नहीं

राजद का कहना है कि चुनाव का तिथि चुनाव आयोग को ही तय करनी है। वह जो निर्णय लेगा, राजद स्वीकार करेगा। पर जो गाइडलाइन जारी हुआ है, वह कोरोना और बाढ़ की त्रासदी झेल रहे राज्य के लिए व्यावहारिक नहीं है। प्रवक्ता चितरंजन गगन ने कहा कि मात्र 5 नेता ही डोर-टू-डोर कैंपेन में शामिल होंगे तो मतदाता से संवाद स्थापित नहीं हो पाएगा।

ऐसे में मतदान माखौल बनकर रह जाएगा। ग्लब्स पहन-खोल कर और दो गज की दूरी मेंटेन कर दिनभर में एक बूथ पर 250 से अधिक वोटर मतदान नहीं कर पाएंगे, जबकि एक बूथ पर 1000 लोगों के वोट देने की व्यवस्था की जा रही है। इससे वोटर वोट देने से वंचित होंगे। राजद की मांग है कि आयोग चुनाव के पहले सभी वोटरों का बीमा और वोट के दौरान संक्रमित होने पर मुफ्त इलाज की व्यवस्था सुनिश्चित करे।

वर्तमान परिस्थिति चुनाव के लिए सही नहीं : कांग्रेस

कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि ये आम जनता के लिए कष्टकारी साबित होगा। इससे निष्पक्ष चुनाव संभव ही नहीं है। बिहार में कोरोना के बढते मामलों को देखते हुए उसके संक्रमण से बचाव के लिए कांग्रेस के सुझावों पर आयोग ने कोई ध्यान नहीं दिया है। वहीं एमएलसी प्रेमचंद्र मिश्रा ने कहा कि कांग्रेस चुनाव आयोग का सम्मान करती है, लेकिन जवाबदेही आम जनता की सुरक्षा को लेकर है। बिहार की वर्तमान स्थिति चुनाव के लिए उपयुक्त नही हैं। अगले 15-20 दिन बिहार की स्थिति पर आयोग को नजर रखने की जरूरत है।

मुकेश सहनी: निर्देशों का करेंगे पालन
वीआईपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुकेश सहनी ने कहा कि जनहित में चुनाव आयोग के दिशा-निर्देश का पालन करेंगे। चाहे मास्क लगाकर चुनाव कार्य करना हो या नामांकन। चुनावी कार्यालय या सभाओं में संक्रमण न फैले इसके लिए थर्मल स्कैनिंग, सेनेटाइजर-साबुन और सोशल डिस्टेंसिंग आदि का पालन करवाने की हर संभव कोशिश होगी।

भाकपा माले: गाइडलाइन विरोधाभासी
भाकपा माले ने चुनाव आयोग के गाइडलाइन को विरोधाभासी कहा। पार्टी के राज्य सचिव कुणाल ने कहा कि आयोग डोर टू चुनाव प्रचार के लिए प्रत्याशी सहित अधिकतम 5 लोगों को जाने की छूट दे रहा है। दूसरी ओर एक बूथ पर वोटिंग के लिए 1000 मतदाता रखने की बात कर रहा है।

रालोसपा: आयोग ने मांग मानी
रालोसपा अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि हमलोगों ने वर्चुअल की जगह पारंपरिक चुनाव प्रचार की छूट देने की मांग की थी। इसे आयोग ने मान लिया है। सोशल डिस्टेंसिंग के साथ चुनावी सभा की भी छूट देना सही है। आयोग को स्थानीय प्रशासन पर निगरानी रखनी होगी, ताकि विपक्षी दलों के साथ भेदभाव न हो। अभी भीड़ के नाम पर प्रशासन विपक्षी नेता पर केस कर दर्ज करा है।



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The Commission praised the guidelines of the Commission, the opposition said - time is not right


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