जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. आरके यादव की अध्यक्षता में प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पुपरी में कालाजार जांच सह जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस दौरान उन्होंने कहा कि कालाजार के बाद त्वचा संबंधी लीश्मेनियेसिस रोग होने की सम्भावना रहती है। इसे चमड़ी का कालाजार (पीकेडीएल) भी कहा जाता है।
बताया कि पीकेडीएल का इलाज पूर्ण रूप से किया जा सकता है। वर्तमान में मिल्टेफोसिन का लगातार 12 सप्ताह तक सेवन से इसका इलाज किया जाता है। इलाज के बाद मरीज को 4000 रुपये का आर्थिक अनुदान भी सरकार द्वारा दिया जाता है।
डॉ. यादव ने बताया कि “घर-घर कालाजार रोगियों की खोज” कार्यक्रम का पर्यवेक्षण के दौरान उन्होंने नानपुर एवं पुपरी में आशा द्वारा घर-घर जाकर खोजे गए संभावित पीकेडीएल के मरीजों का स्वयं परीक्षण किया। पुपरी के जैतपुर गांव में एक रोगी में इसकी पुष्टि की गयी है। डॉ. यादव ने बताया कि जैतपुर के उक्त 55 वर्षीय मरीज को बचपन में भी कालाजार हुआ था और दो माह पूर्व भी कालाजार हुआ था।
जिसका इलाज एम्बीजोम एकल खुराक द्वारा किया गया था। विगत 15 दिनों से उसके पूरे बदन में चकत्ते निकलने लगे हैं और नाक पर गांठ निकल आये है, जो बढ़ रहा है। उन्होंने बताया कि उक्त मरीज में मैकुलर तथा नोड्युलर दोनों तरह के पीकेडीएल के लक्षण मौजूद हैं। उन्होंने वीबीडीएस दीपक कुमार को उक्त मरीज का इलाज शुरू करने के लिए कहा है। डॉ. आरके यादव ने बताया कि पीकेडीएल यानी चमड़ी का कालाजार एक ऐसी स्थिति है।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2QKCJ61
0 Comments
Please do not enter any spam link in the comment box