बागमती व लखनदेई नदी पर दबंगाें के पुल से छुटकारा पाने की छटपटाहट देखनी हाे ताे कटरा हाेते हुए औराई चले आएं। इन पीपा-चचरी पुलाें पर पैदल पार करने के लिए भी 5 रुपए देने हाेते हैं। गाड़ियां पार कराने के लिए ताे 50 रुपए की वसूली हाेती है। विराेध किया ताे खैर नहीं, चूंकि इसे दबंगाें ने बनाया है...। मतलब जाे समझिए।
इसे आप रंगदारी कह सकते हैं या सुविधा शुल्क भी। चुनावी आहट हाेते ही हर बार वाेट बहिष्कार की चेतावनी और नेताओं की खाेखली बयानबाजी शुरू हाे जाती है। इस बार फिर चचरी पुल चुनावी मुद्दा बनेगा। मथुरापुर बुजुर्ग पंचायत की सुंदरखौली गांव के निकट वर्षों से चचरी पुल ही आवागमन का सहारा है। पिछले दो चुनावाें में यहां “पुल नहीं तो वोट नहीं’ के नारा लगे थे।
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