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चाइल्ड लाइन की सहायता से कम उम्र में सहेलियों की शादी रुकवा रहीं बच्चियां https://ift.tt/2GalwRW

(ततहीर काैसर) भागलपुर में बाल विवाह के खिलाफ आवाज उठाने में बच्चियां सामने आ रही हैं। वे अपनी नाबालिग सहेलियाें काे बाल विवाह के दलदल में फंसने से बचा रही हैं। ये सभी चाइल्ड लाइन और पुलिस काे फाेन कर बाल विवाह रुकवाने में अपनी भूमिका निभा रही हैं। सितंबर तक शहर में 42 बाल विवाह राेके गए हैं, लेकिन चुनाैतियां अभी भी कायम है। कई परिवार जहां गरीबी और अशिक्षा के कारण बेटियाें का बाल विवाह करवा रहे हैं वहीं कुछ ऐसे शिक्षित परिवार भी हैं जाे रूढ़ीवादी साेच के कारण अपने परिवार की बेटियाें की बलि देने पर उतारू हैं।

रुकवाएं बाल-विवाह 1098 पर करें कॉल
किसी भी बच्चे की शादी हाेते देख आप 1098 पर काॅल कर शिकायत कर सकते हैं। फाेन करने वाले की पहचान गुप्त रखी जाती है। चाइल्ड लाइन भागलपुर के सेंटर काेऑर्डिनेटर अमल कुमार ने कहा कि हमारी काेशिश हाेती है कि बच्चाें पर कहीं भी किसी प्रकार का अत्याचार न हाे। हमें जाे काॅल आते हैं उनकी पहचान गुप्त रखी जाती है।

बदल रही रूढ़ीवादी सोच

केस-1 : ललमटिया थाना में नाबालिग लड़की की शादी कराई जा रही थी। लड़की की 12-15 वर्षीय सहेलियाें ने चाइल्ड लाइन काे फाेन कर इसकी जानकारी दी। चाइल्ड लाइन की टीम वहां पहुंची। रात दाे बजे मंदिर में बारात आई। इसके बाद पुलिस की मदद से शादी राेकी गई। ग्रामीणाें ने हंगामा भी किया।

केस-2 : बूढ़ानाथ इलाके में एक युनिवर्सिटी के प्राध्यापक 15 वर्षीय बेटी की शादी करवा रहे थे। इसकी जानकारी पड़ाेसी ने चाइल्ड लाइन काे जानकारी दी गई। चाइल्ड लाइन के साथ पुलिस पहुंची। टीम काे अधिक परेशानी हुई। मगर टीम ने शादी रुकवाई।

केस-3 : नाथनगर में 14 साल की बच्ची की शादी की जा रही थी। एक दुकानदार ने चाइल्ड लाइन काे फाेन किया। टीम ने घर जा कर शादी रुकवाई। दुकानदार काे फाेन पर लड़की की 14 वर्षीय दाेस्त ने खबर दी थी। लड़की के माता पिता के सामने कहा कि वह पढ़कर कुछ बनेगी।

बिहार में घटी है बाल विवाह की दर
बिहार के बाल विवाह दर में काफी सुधार आया है। दस साल के अंतर में बिहार का बाल विवाह दर 47.8 से घट कर 19.7 रह गया है। एसएम काॅलेज की पूर्व प्राचार्य व मनाेवैज्ञानिक डाॅ. अर्चना ठाकुर कहती हैं कच्ची उम्र में शादी का सीधा वास्ता बच्ची के मानसिक-शारीरिक विकास से तो है ही। साथ ही शिशु-मृत्यु दर, मातृत्व मृत्यु दर, प्रजनन दर (टीएफआर), कुपोषण, अनीमिया, स्टंटिंग (समुचित विकास न होने से पनपने वाला ठिगना पन) आदि के बीज भी इसी में छिपे है।



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