अरावली पर्वतमाला की पहाड़ियाें में अवैध खनन कर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। खनन माफिया दिन-रात अवैध खनन कर चांदी कूटने में लगे हुए हैं। गांवों में हो रहे अवैध खनन के खिलाफ कार्रवाई को लेकर ग्रामीणों ने प्रशासन व विभागीय अधिकारियों को कई बार अवगत करवाया, लेकिन माफियाओं की रसूखदारी के चलते कोई कार्रवाई नहीं हो रही है।
क्षेत्र के मंडली, नागाणा, नेवरी, तिरसिंगड़ी, थोब क्षेत्र में फैली अरावली पर्वतमाला की पहाड़ियाें में हो रहे अवैध खनन से पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंच रहा है। अरावली पर्वतमाला की पहाड़ियां क्षेत्र की शान है। रमणीक स्थान होने के साथ भोमभाखर हिंगलाज माता एवं नागाणा नागणेच्यां माता मंदिर आस्था के केंद्र है।
जहां वर्ष पर्यंत हजारों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन पूजन के लिए पहुंचते हैं। पूर्वजों ने इस क्षेत्र को संरक्षित कर रखा था, जहां से लकड़ी काट कर ले जाना भी वर्जित था। वहीं लोग इन पहाड़ियाें पर कैर, कुमठ के पेड़ों से जीविकोपार्जन करते आ रहे हैं। साथ ही चरवाहों के लिए चारागाह व वन्य जीवों की शरणस्थली भी रही है।
उल्लेखनीय है कि रिफाइनरी का कार्य शुरू होने के बाद से यहां पर बजरी, पत्थर, कंकरीट आदि की मांग अधिक बनी हुई है। ऐेसे में कई लोगांे ने थोब, असाड़ा, आसोतरा, बागुंडी क्षेत्र में लीज करवा रखी है, इनमें अधिकांश लोग लीज से बाहर जाकर पत्थर का अवैध खनन कर रहे हैं। अवैध खनन के खिलाफ कार्रवाई नहीं होते देख व कमाई के लालच में कई माफिया अवैध खनन कर रहे हैं। पहाड़ों में बड़े-बड़े खड्ढे कर अवैध खनन किया जा रहा है।
इसके साथ ही लीजधारक भी खनन विभाग के नियम कायदों को ताक पर रखकर अधिक गहराई में खनन कर रहे हैं। वहीं पर्यावरण संरक्षण को लेकर पौधरोपण सहित अन्य कोई कार्य नहीं किया जा रहा है। पिछले कई सालों से हो रहे अंधाधुंध खनन से अरावली पर्वतमाला अपना अस्तित्व खोने लगी है।
हरे भरे पेड़ एवं घास की हरियाली से शोभायमान होने वाली पहाड़ियां बड़े-बड़े गहरे खड्डों में तब्दील हो गई है। चट्टानों को तोड़ने के लिए किए जाने वाले भयंकर विस्फोट से बहुतायात में पाए जाने वाले हिरण, नीलगाय, खरगोश, मोर सहित पशु पक्षियों ने पलायन कर दिया है।
क्रेशर संचालक अवैध बारूद से पहाड़ी क्षेत्र में सुरंग बनाकर कंप्रेशर द्वारा ब्लास्टिंग करवाते है। भयंकर विस्फोट की आवाज से ग्रामीणों का सूख चैन लुट गया है। मकान, पानी के टांकों में दरारें आने से ग्रामीणों को हरदम हादसे की आशंका बनी रहती है।
विस्फोट से प्रदूषण, क्रेशर से उड़ने वाले रेत के कण, माल परिवहन के लिए सरपट दौड़ते वाहनों से उड़ती धूल से आमजन के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है।सुरक्षा के लिए कहीं पर तारबंदी का इंतजाम नहीं किया है। भूले भटके ही कोई इंसान या जानवर खान की तरफ चला जाए ताे अनहोनी की आशंका रहती है।
खुदाई भी नियमों कायदों को ताक पर रखकर हो रही है। खान मालिक खनिज के लिए पर्यावरण मंत्रालय से नियमों के साथ कार्य करने के लिए अनुमति लाते हैं, लेकिन मानक पर खरे उतरकर कामकाज नहीं कर रहे हैं। अधिकांश खानों पर कहीं भी पौधरोपण किया नजर नहीं आता है। वहीं जिम्मेदार राजस्व एवं खनिज विभाग की ओर से कार्रवाई नहीं होने से खनन माफियाओं की मौज बनी हुई है।
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