नगर निगम बोर्ड की बैठक में लिए गए निर्णय व पूर्व से मिल रही शिकायतों के आलोक में निगम द्वारा किए जा रहे कार्यों की समय-सीमा तय की गई है। इस संबंध में नगर आयुक्त विवेक रंजन मैत्रेय ने सोमवार को आदेश जारी कर इंजीनियरों के लिए समय-सीमा का निर्धारण किया है। 18 दिसंबर को बोर्ड की बैठक में डिप्टी मेयर मानमर्दन शुक्ला ने मामले को उठाते हुए कहा था कि काम करने के बाद भी पेमेंट नहीं हाेने से विकास कार्य प्रभावित हो रहे हैं।
इसके लिए समय-सीमा तय हाेनी चाहिए। नगर आयुक्त का कहना है, समय पर काम नहीं होने से कार्य निष्पादन में अधिक समय लगता है। विकास कार्य प्रभावित होते हैं। अब विकास शाखा के विभिन्न अधिकारियों के लिए कार्य की समय-सीमा तय की गई है। हर कार्य शाखा का मूवमेंट रजिस्टर तैयार हाेगा, ताकि बैकडेटिंग की शिकायतों के निपटारा पर कार्रवाई की जा सके।
नगर आयुक्त ने आदेश दिया कि किस स्तर पर कितने अद्यतन, अंतिम विपत्र लंबित हैं, इसकी सूची प्रत्येक 15 दिन में महापौर, उप महापौर व नगर आयुक्त को उपलब्ध कराई जाए, ताकि उस पर कार्रवाई हाे सके। विशेष स्थिति को छोड़कर यदि इसका पालन नहीं होता है तो संबंधित अधिकारी-कर्मचारी पर कार्रवाई हाेगी।
एक ही डेट में कई अफसरों के हस्ताक्षर देख नगर आयुक्त हतप्रभ
निर्माण कार्य से संबंधित पेमेंट की फाइल सोमवार को नगर आयुक्त के टेबल पर पहुंची। उसमें बिल भुगतान के लिए 20 अक्टूबर की तिथि में जूनियर इंजीनियर, सहायक अभियंता व कार्यपालक अभियंता के हस्ताक्षर थे। इस पर नगर आयुक्त ने हस्ताक्षर कराने पहुंचे संबंधित स्टाफ से सवाल किया कि क्या दो माह तक उनके यहां फाइल फंसी रही। ऐसे में स्टाफ जवाब नहीं दे सका। वहीं, बैकडेटिंग की आशंका को देखते हुए नगर आयुक्त ने निर्देश दिया कि फाइल का मूवमेंट खोला जाए। इससे स्पष्ट रहेगा किस अधिकारी ने कब हस्ताक्षर किए। भ्रष्टाचार पर भी अंकुश लगेगा।
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