पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि बिहार में गोशालाओं से संबंधित पहला कानून डाॅ. राजेंद्र प्रसाद की ही देन है। राजनीति के अतिरिक्त समाज सुधार में भी उनकी गहरी रुचि थी। महात्मा गांधी के कहने पर उन्होंने तिलक-दहेज रहित और अंतरजातीय विवाह को बढ़ावा देने का अभियान चलाया था। पर कांग्रेस ने उनकी हमेशा उपेक्षा की। खांटी भोजपुरी बोलने व धोती पहने वाले सादगी के प्रतीक डाॅ. राजेंद्र प्रसाद राष्ट्रपति के तौर पर कांग्रेस की कभी पंसद नहीं रहे।
कांग्रेस को तो सूट-बूट और टाई पहनने वाला पसंद था, इसीलिए पंडित नेहरू तो उनकी जगह सी. राजगोपालाचारी को राष्ट्रपति बनाना चाह रहे थे। राष्ट्रपति पद से निवृत होने के बाद जिस तरह से उन्हें पटना स्थित बिहार विद्यापीठ के सीलन भरे कमरे में रहना पड़ा, वह दुर्भाग्यपूर्ण था। मोदी देशरत्न डाॅ. राजेंद्र प्रसाद की जयंती पर टीके घोष एकेडमी में स्थापित उनकी मूर्ति पर माल्यार्पण करने के बाद छात्रों को संबोधित कर रहे थे। वे वहां के पूर्ववर्ती छात्र हैं।
राजेंद्र बाबू के सोमनाथ मंदिर के उद्घाटन का कांग्रेस ने किया था विरोध
मोदी ने कहा कि वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब अयोध्या में बहुप्रतीक्षित भव्य राममंदिर निर्माण का शिलान्यास किया तो कांग्रेस और वामपंथियों ने तीखा विरोध किया, उसी प्रकार 1951 में पुनरुद्धार के बाद सोमनाथ मंदिर का राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद द्वारा उद्घाटन करने का भी पंडित नेहरू ने विरोध किया था।
मगर तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित नेहरू के विरोध का राजेंद्र बाबू ने परवाह नहीं की। 11वीं सदी में महमूद गजनवी द्वारा तोड़े गए सोमनाथ मंदिर का जिस तरह से पुनरुद्धार महात्मा गांधी की सलाह पर सरकारी की जगह जनता के धन से किया गया, उसी प्रकार नरेंद्र मोदी ने भी राममंदिर के निर्माण के लिए जनसहयोग की अपील की है।
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