कोरोना मरीजों के स्वस्थ और कोविड केयर सेंटर से डिस्चार्ज किए जाने में बड़ी गड़बड़ी सामने अाई है। जिले के दो मरीजों को डॉक्टरों ने बिना ठीक हुए ही डिस्चार्ज कर दिया। एक मरीज महज एक दिन बाद ही सेंटर से घर चला गया तो दूसरा चार दिन बाद घर पहुंचा। दोनों ने गांवों में लोगों से झूठ भी बोला। उन्होंने कहा, गलती से डॉक्टर ले गए थे। हमारी रिपोर्ट निगेटिव निकली। इधर, डॉक्टरों की गड़बड़ी की पोल खुली तो ताबड़तोड़ जिम्मेदारों ने दोनों मरीजों को सोमवार दोपहर 2.45 बजे बुलाया। दोनों अपनी गाड़ियों से काेविड केयर सेंटर पहुंचे। डॉक्टर गलतफहमी से डिस्चार्ज होने की बात कर रहे हैं। दूसरी ओर डॉक्टर की लापरवाही पर सीएस डॉ. विजय कुमार ने शोकॉज किया है। इस बीच सवाल खड़े हो रहे हैं कि संक्रमितों के घर जाने और लौटकर आने के बीच उनके संपर्क में आए लोगों की पहचान और उन्हें संक्रमण से बचाने की कवायद कैसे होगी?
इन दो मामलों से समझिए डॉक्टर की लापरवाही
1. नवगछिया: गोपालपुर के पटाखा कारोबारी 33 वर्षीय कुणाल गुप्ता 27 जून को संक्रमित होने पर कोविड केयर सेंटर में भर्ती हुए। यहां डॉक्टरों ने उनसे बांड भरवाया और अगले ही दिन 28 जून को सेंटर से डिस्चार्ज कर घर भेज दिया। इस बांड के अनुसार, उन्हें घर में ही आइसोलेट रहना है। बताते हैं, गोपालपुर पहुंचते ही कारोबारी ने अपने पड़ोसियों से कहा कि उसे कोई परेशानी नहीं है। सियासत के फेर में उनकी जांच रिपोर्ट पॉजिटिव करवाई गई थी। दोबारा जांच हुई तो निगेटिव आई। इसके बाद घर भेजा। हालांकि लोगों के विरोध के बाद उन्हें दोबारा सोमवार को सेंटर लाया गया।
2. सुल्तानगंज: 48 वर्षीय रणधीर शर्मा 24 जून को कोविड केयर सेंटर में भर्ती हुए। महज चर दिन बाद ही उन्होंने भी बांड भरा और 28 जून को डिस्चार्ज होकर घर लौट गए। उन्होंने भी बांड में घर में आइसोलेट रहने की बात कही थी। चार दिन में रणधीर के घर लौटने पर लोगों ने सवाल शुरू कर दिए। उन्होंने यह भी पूछना शुरू कर दिया कि चार दिनों मेंही बिना निगेटिव रिपोर्ट लिए घर कैसे आए, जबकि नई गाइडलाइन में 10 दिन में लक्षण न आने पर बिना जांच घर भेजा जाता है। लक्षण आने पर और दिनाें तक भर्ती कर दोबारा सैंपल लिए जाते हैं।
इस नियम का किया उल्लंघन
मालूम हो कि कोरोना के फ्रंट वॉरियर्स के लिए नया नियम बना है। इसके अनुसार, डाॅक्टर समेत हेल्थ कर्मचारियाें के पाॅजिटिव आने पर वे घर में आइसोलेट रह सकते हैं। इसके लिए बांड भरना पड़ता है। इसी नियम के तहत जिले में 4-5 कर्मचारी आइसोलेट हैं। यह नियम सामान्य लोगों पर लागू नहीं होते, लेकिन डॉक्टरों ने इसी नियम को अपने हिसाब से तोड़मरोड़ कर उक्त दोनों मरीजों को राहत पहुंचाने की कोशिश की।
बांड पेपर भरवाकर दोनों को होम आइसाेलेशन में रहने को भेजा गया था। जानकारी के अभाव में ऐसा हुआ, इसलिए दोबारा दोनों मरीजों को बुला लिया गया है।
- डॉ. अमित शर्मा, आयुष डॉक्टर
आयुष डॉक्टर ने गलतफहमी से बांड भरवाकर छोड़ा था। दोनाें मरीजों को वापस बुलाकर भर्ती किया गया है। शोकॉज पूछा है,जवाब आने पर कार्रवाई होगी।
- डाॅ. विजय कुमार सिंह, सीएस
काेरोना लैब में 3 मशीन तोड़ने वाले टेक्नीशियन को शोकॉज, जांच बंद
भागलपुर | मायागंज की कोरोना लैब में तीन मशीनों को तोड़ने वाले लैब टेक्नीशियन शीलभद्र पर केस दर्ज करवाने के बाद शोकॉज पूछा है। इधर, कोरोना के लगातार बढ़ रहे मरीजों के बीच अस्पताल में जांच बंद हो गई है। पहले से पटना में150 से ज्यादा सैंपल पेंडिंग हैं, अब शनिवार रात लैब में सीबीनेट और ट्रूनेट मशीनों के तोड़े जाने के बाद से परेशानी बढ़ गई है। आलम यह है कि दो दिनों में ही जिले में 75 से ज्यादा मरीजों की पहचान हुई है। संक्रमण बढ़ रहा है और जांच बंद है। बता दें कि उसे पहले भी एक बार ड्यूटी में लापरवाही पर क्लीनिकल पैथाेलाॅजी से हटाया था, माफीनामे के बाद उसे दोबारा रखा। प्रिंसिपल डाॅ. हेमंत कुमार सिन्हा ने बताया, यह बड़ी लापरवाही है। सरकार को इसकी रिपोर्ट भेज दी है। मालूम हो कि शनिवार रात की सीसीटीवी फुटेज में शीलभद्र मशीन की स्क्रीन पर कैंची से दबाव बनाते दिखे थे। इसके बाद रविवार काे अधीक्षक डाॅ. आरसी मंडल ने उसपर केस दर्ज करवाया और शोकॉज पूछा। शीलभद्र ने दूसरे टेक्नीशियन व अफसरों संग शनिवार रात पार्टी की थी। उसकी ड्यूटी दोपहर 1 बजे से थी, उसने दूसरे से अपनी ड्यूटी रात 10 बजे से ले ली थी। शीलभद्र ने बताया, रात 11 बजे मशीन की स्क्रीन बंद हुई तो अंगुली से दिया। ठीक न होने पर कैंची से प्रेशर दिया। इसके बाद स्क्रीन टूटी। इसकी सूचना एक डाॅक्टर काे दी थी। रात 1 बजे नाेडल ऑफिसर काे फोन किया पर फोन नहीं उठा।
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