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दस पंचायतों में उपजा 88 हजार क्विंटल मक्का अब किसान 1000 रुपए में बेच रहे हैं उधार https://ift.tt/2ODdPUS

कोरोना का कहर जारी है। उस पर लॉकडाउन लगा है। रेल की रैक नहीं लगी, बाहर के व्यापारी फसल खरीदने नहीं आए। ऐसे में किसानों की जमा पूंजी उनकी मेहनत की उपज मक्का ही गले की फांस बन गई है। लाॅकडाउन के कारण मक्का की बेहतर कीमत नहीं मिलने पर किसानों ने बाद के दिनों में बेहतर मूल्य पर बेचने के उद्देश्य से घर, दालान-दरवाजा, सड़क किनारे जमा कर रखा। लेकिन अब बाढ़ ने संजोकर रखे मक्का को कौड़ी के दाम पर बेचने को विवश कर दिया है। व्यापारी की अकड़ यह कि उसे सूखे स्थान पर मक्का पहुंचाकर देना है। लेकिन कीमत में कोई इजाफा नहीं किया गया। दो माह पूर्व का ही रेट 1000 से 1050 रुपए प्रति क्विंटल।
किसान नाव रिजर्व कर मक्का को आसपास के सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाकर व्यापारियों को बेच रहे हैं। वह भी नकद नहीं, उधार में ही अधिकांश किसानों से मक्का खरीदा जा रहा है। किसानों के पास कोई दूसरा चारा भी नहीं है। किसान यही सोच कर मक्का बेचने लगे हैं कि बाढ़ में फसल के डूबने या बर्बाद होने से तो अच्छा है कि कुछ कीमत तो मिल रही है। चौसा प्रखंड में 13 पंचायत हैं। इसमें से 10 पंचायतों में बाढ़ की स्थिति है। कृषि विभाग के आंकड़े बताते हैं कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्र के लगभग 11000 हेक्टेयर में मक्का लगाया गया था। इसमें लगभग 88 हजार क्विंटल मक्का का उत्पादन हुआ था। खरीफ फसल की खेती को लेकर कई किसानों ने कम कीमत पर शुरुआत में कुछ मक्का बेच दिया था। लेकिन अधिकांश किसानों ने ऊंची कीमत मिलने की आस में मक्का बचाकर रख लिया था। अब उसी मक्का को औने-पौने कीमत पर बेच रहे हैं।

आंधी और बारिश से भी फसल को हुआ था नुकसान
इन दिनाें फुलौत पश्चिमी पंचायत के सपनी मुसहरी, झंडापुर बासा, घसकपुर, करेलिया, पनदही बासा एवं फुलौत पूर्वी पंचायत के चिकनी, बरबीघी, बड़ीखाल, पिहोरा बासा, करेल बासा एवं मोरसंडा पंचायत के श्रीपुर बासा, करेलिया मुसहरी आदि में बाढ़ है। संभ्रांत किसान ताे मक्का काे छत पर भी रखे हुए हैं। मोरसंडा के किसान सदानंद मेहता, दिनेश मेहता, सुबोध मेहता, सुभाष यादव, ननकू यादव व प्रकाश शर्मा सहित अन्य का कहना है कि बाढ़ हो या बरसात, सब कुछ में पिसते हैं किसान ही। इस बार कुछ दिन पहले आंधी व बारिश से खेत में भी मक्का फसल को क्षति पहुंची थी। इससे किसान उबर भी नहीं सके कि बाढ़ ने फिर एक बार किसानों को औने-पौने दाम पर मक्का बेचने पर मजबूर कर दिया है। मजबूर किसान नाव के सहारे ऊंचे स्थानों पर मक्का पहुंचा दे रहे हैं। किसान कहते हैं कि अच्छा क्वालिटी का मक्का बोरा सहित 1000 से 1050 में गल्ला व्यापारी खरीद रहे हैं। व्यापारी इस आपदा का फायदा उठाते हुए किसानों से मक्का उधारी ही खरीद रहे हैं।

बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में 88 हजार क्विंटल मक्का का उत्पादन
चौसा के किसान मुख्य रूप से मक्का की खेती करते हैं। प्रखंड के 15 हजार हेक्टेयर में से बाढ़ प्रभावित इलाके के विभिन्न पंचायतों में करीब 11000 हेक्टेयर में मक्का की खेती हुई थी। 88 हजार क्विंटल मक्का का उत्पादन रिकाॅर्ड किया गया था।
श्यामसुंदर यादव, प्रखंड कृषि पदाधिकारी, चौसा

अब धान के पौधे भी हो रहे बर्बाद
फुलौत पश्चमी पंचायत के झंडापुर टोला निवासी उमेश मेहता, देवन मेहता, सुबोध मेहता, विलास मेहता ने बताया कि गांव के अधिकांश घरों में पानी घुस जाने के कारण उन लोगों को रहने, सोने, खाना बनाने एवं खाने में भी परेशानी है। इस बार कोरोना के कारण काम धंधा भी नहीं चला, जिसके कारण कमजोर तबके लोगों का हाथ भी खाली है। इससे सूखा राशन सत्तू भी तैयार नहीं कर सका। किसान वकील सिंह व शंभू सिंह, ने बताया कि पशु चारा किसी भी साल उन लोगों को नहीं मिला है। पिछले वर्ष की बाढ़ राहत सहायता राशि भी उन लोगों को अब तक नहीं मिली। फुलौत पश्चमी के ठाकुरबाड़ी टोला निवासी प्रमोद मेहता, प्रकाश मेहता, कृष्णदेव मेहता व मक्को मेहता ने बताया कि सरकारी स्तर पर राहत सामग्री तो दूर उनलोगों को नाव तक की समुचित व्यवस्था नहीं हो सकी है।



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चौसा के बाढ़ग्रस्त क्षेत्र से मक्का लेकर जाते किसान।


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