कोसी नदी पर बना महासेतु रेल परिचालन के लिए तैयार है। 23 जून को ही इस महासेतु पर ट्रायल ट्रेन का सफल परिचालन हुआ है। अब जुलाई के अंत तक इस महासेतु को सामान्य रूप से ट्रेन परिचालन के लिए चालू करने की तैयारी है। इस महासेतु से रेल परिचालन शुरू होने के साथ ही उत्तर बिहार के दूरस्थ क्षेत्र के आम लोगों का करीब 90 वर्ष पुराना सपना साकार हो जाएगा। निर्मली से सरायगढ़ तक का सफर वर्तमान में दरभंगा-समस्तीपुर-खगड़िया-मानसी-सहरसा होते हुए 298 किलोमीटर का है। महासेतु के निर्माण से यह दूरी मात्र 22 किलोमीटर में सिमट जाएगी।
तटबंधों और बराज निर्माण से साकार हुई पुल की परियोजना: कोसी की धाराओं को नियंत्रित करने का सफल प्रयास पश्चिमी और पूर्वी तटबंध एवं बैराज निर्माण के साथ 1955 में आरंभ हुआ। पूर्वी और पश्चिमी छोर पर 120 किलोमीटर का तटबंध 1959 में पूरा कर लिया गया और 1963 में भीमनगर में बैराज का निर्माण भी पूरा कर लिया गया। सकार रूप ले सकी।
जानिए इस रेल लाइन परियोजना को
- 1.9 किमी लंबे नए कोसी महासेतु सहित 22 किमी लंबे निर्मली-सरायगढ़ रेलखंड का निर्माण वर्ष 2003-04 में शुरू हुआ।
- 6 जून 2003 को तत्कालीन पीएम वाजपेयी ने इस परियोजना का शिलान्यास किया था।
- परियोजना की अद्यतन अनुमानित लागत 516.02 करोड़ है।
- 23 जून 2020 को पुल पर पहली बार ट्रायल ट्रेन का सफलतापूर्वक परिचालन हुआ
- महासेतु से 298 किमी की दूरी मात्र 22 किमी में सिमट जाएगी।
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