बेउर की महावीर कॉलोनी फेज टू में शौचालय की टंकी की सेंटरिंग हटाने के दाैरान तीन मजदूर गिर गए। उनमें दाे की माैत हाे गई, जबकि एक बेहाेश हाे गया। मृतकों में जोड़ा कुआं निवासी मिथिलेश गोस्वामी का 25 साल का बेटा विकास कुमार व तेज प्रताप नगर निवासी सियाराम शरण का 38 साल का बेटा निरंजन है। निरंजन का छाेटा भाई 22 साल का छाेटू बेहोश हो गया। उसका इलाज नर्सिंग हाेम में चल रहा है। घटना के बाद स्थानीय लाेगाें ने बेउर माेड़ काे जाम कर हंंगामा किया। पुलिस और सीओमाैके पर पहुंचे और लाेगाें काे शांत कराया।
दरअसल महावीर काॅलाेनी निवासी अमर कुमार का मकान बन रहा है। शौच की टंकी काफी दिनों से बनी हुई थी। उसमें पानी भरा था, पर ढक्कन भी लगा था। इस वजह से उसमें गैस भर गया था। ठेकेदार देव कुमार ने विशाल को टंकी के अंदर घुसकर पटरा खोलने के लिए कहा। वह टंकी में जाते ही बेहाेश हाे गया। पास में काम कर रहा निरंजन अपने भाई छाेटू के साथ विशाल को बचाने दौड़ा।
टंकी में बेहोश विशाल को देख छाेटू भी टंकी में घुसा और वह भी बेहाेश हो गया। छाेटू के बेहाेश हाेने के बाद निरंजन भी टंकी में कूद पड़ा। ठेकेदार और अन्य लाेगाें के शाेर हाेने पर लाेगाें की भीड़ जमा हाे गई। फिर ढक्कन को हटाकर सीढ़ी से सभी को बाहर निकाला गया पर निरंजन फिर टंकी में गिर गया। अस्पताल ले जाने के दौरान निरंजन और विकास ने दम तोड़ दिया।
सूचना मिलने के बाद मां व पत्नी राेने लगी
सियाराम के सात बेटाें में सबसे बड़े बेटे निरंजन की मौत व छोटू के बेहाेश हाेने की खबर मिलते ही मां शारदा देवी व निरंजन की पत्नी सरिता देवी दहाड़ मारकर राेने लगी। निरंजन की बेटी चंचल, रानी व प्राची की दहाड़ से सांत्वना देने पहुंचे पड़ोसी भी राेने लगे। वहीं 5 और 3 वर्ष का पुत्र कृष्णा, आशु को यह समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर अचानक घर अचानक क्या हाे गया। तीन साल पहले निरंजन के पुत्र दीप राज की करंट लगने से मौत हो गई थी। तीन वर्ष बाद निरंजन की माैत के बाद पूरे मोहल्ले में सन्नाटा पसर गया।
मिथेन और सल्फर डाइऔक्साइड से दम घूंटा: डाॅक्टर
डाॅक्टर दिवाकर तेजस्वी ने बताया कि टंकी बंद रहने से उसमें सल्फर डाइऑक्साइड और मिथेन गैस भर गया। दाेनाें जहरीली गैस है। मजदूर जब घुसे ताे उनका दम घुटने लगा। ऑक्सीजन की कमी हाे गई। ब्रेन व शरीर के अन्य भागाें में ऑक्सीजन की सप्लाई बंद हाे गई। अगर टंकी में घुसने से पहले आधा या एक घंअे के लिए ढक्कन काे खाेल दिया जाता ताे गैस निकल जाती और यह हादसा नहीं हाेता।
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