Header Ads Widget

Ticker

6/recent/ticker-posts

चेक बाउंस से जुड़े कानून में बदलाव का कैट ने किया विरोध, कहा- ढील देने से अपराध बढ़ेगा और कारोबार प्रभावित होगा https://ift.tt/3hiT25i

देशभर के व्यापारियों के संगठन कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को भेजे एक लेटर में चेक बाउंस को अपराध की कैटेगरी से हटाने के प्रस्ताव को लेकर आपत्ति जताई है। संगठन ने कहा है कि इससे न केवल चेक की विश्वसनीयता में कमी आएगी बल्कि इससे देश में उचित और भरोसेमंद कारोबारी माहौल बनाने के प्रधानमंत्री के प्रयासों को भी झटका लगेगा।

सरकार के प्रस्ताव को लेकर बड़ी समस्या खड़ी हो सकती है

कैट ने लेटर में कहा है कि देशभर का व्यापारिक समुदाय सरकार के इस प्रस्ताव से काफी विचलित हुआ है। सरकार द्वारा धारा-138 को गैर अपराधिक बनाने के प्रस्ताव को लेकर बड़ी समस्या खड़ी हो सकती है। इस धारा में चेक के बाउंस होने पर अपराध माना गया है।

व्यापारियों से सामान लेकर लापता होने का डर बना रहेगा

कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी सी भारतीया एवं राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने कहा की सरकार का यह कदम देश में छोटे मामलों को अदालत में न जाने एवं अदालतों पर से काम का बोझ कम करने के बारे में एक अच्छी सोच है। हालांकि धारा 138 को गैर- आपराधिक बनाने से उन लोगों के हौसले बुलंद होंगे जो पेशे से अपराधी हैं और चेक देकर व्यापारियों से सामान लेकर लापता हो जाएंगे। बाद में उनके चेक बाउंस हो जाएंगे।

व्यापारी के साथ आम लोगों को परेशानी होगी

कैट ने कहा कि इससे न केवल व्यापार बल्कि आम लोगों को भी काफी परेशानी होगी। संगठन ने कहा है कि यदि इस धारा को गैर- आपराधिक बना दिया गया तो ईमानदार व्यापारी जो पोस्ट डेटेड चेक देकर माल लेता है उसके समक्ष बड़ी परेशानी खड़ी होंगी। वहीं दूसरी ओर आम लोग भी ईएमआई पर कई सामान एवं घर खरीदते हैं। ईएमआई के रूप में पोस्ट डेटेड चेक देते हैं। लेकिन इस धारा को गैर आपराधिक बना दिए जाने के बाद कोई भी पोस्ट डेटेड चेक स्वीकार नहीं करेगा।

अदालत में 20% से अधिक मामले केवल चेक बाउंस के हैं

भरतिया और खंडेलवाल ने कहा धारा 138 में कड़क नियम होने के बावजूद भी देश के कोर्ट में चल रहे मामलों में 20% से अधिक मामले केवल चेक बाउंस के हैं। यदि इस धारा को गैर- आपराधिक बना दिया जाता है तो ऐसे मामले कई गुना बढ़ सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार के इस तरह के कदम से देश में सप्लाई चेन पर गंभीर असर पड़ सकता है क्योंकि ज्यादातर व्यापारी इन पोस्ट डेटेड चेक के आधार पर क्रेडिट पर कारोबार करते हैं।

मंत्रालय ने कई छोटे अपराधों को हटाने का प्रस्ताव दिया है

वित्त मंत्रालय ने कई छोटे मोटे जुर्म को अपराध की कैटेगरी से हटाने का प्रस्ताव दिया है। इनमें चेक बाउंस और कर्ज की वापसी से जुड़े मामले भी हैं। कोरोना वायरस महामारी के कारण संकट में फंसे कारोबारियों को इस स्थिति से उबरने में मदद के लिये ये कदम उठाने का प्रस्ताव है।

19 कानून में सरकार रियायत देने के बारे में सोच रही है

इनमें कम से 19 कानून हैं जिनमें सरकार रियायत देने के बारे में सोच रही है। इनमें चेक बाउंस से जुड़ा कानून, बैंक कर्ज की वापसी से जुड़े सरफेसी कानून, जीवन बीमा निगम कानून 1956, पीएफआरडीए कानून 2013, रिजर्व बैंक कानून 1934, राष्ट्रीय आवास बैंक कानून 1987, बैंकिंग नियमन कानून 1949 और चिट फंड कानून 1982 सहित कुछ अन्य कानून शामिल हैं जिनमें रियायत देने के बारे में विचार किया जा रहा है।



Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
संगठन ने कहा है कि इससे न केवल चेक की विश्वसनीयता में कमी आएगी बल्कि इससे देश में उचित और भरोसेमंद कारोबारी माहौल बनाने के प्रधानमंत्री के प्रयासों को भी झटका लगेगा।


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3jnyjyV

Post a Comment

0 Comments