बीएनएमयू में संवाद व्याख्यानमाला जारी है। बीएनएमयू के साथ-साथ अन्य विश्वविद्यालय के भी शिक्षक आए दिन लाइव व्याख्यान दे रहे हैं। इसी के तहत वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय आरा में स्नातकोत्तर भूगोल विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर फौजिया रहमान ने बीएनएमयू के संवाद व्याख्यानमाला में मानव-पर्यावरण संबंध विषय पर अपना व्याख्यान दिया। इस दौरान उन्हाेंने वर्तमान परिदृश्य में पर्यावरण संरक्षण को लेकर बन रही चिंताओं से छात्रों को अवगत कराते हुए इससे बचने की राह भी बताई। उन्होंने कहा कि पर्यावरण को कई भागों में बांटा गया है। इनमें प्राकृतिक पर्यावरण, जैविक पर्यावरण, सांस्कृतिक पर्यावरण आदि प्रमुख है। मनुष्य का इन सब के साथ घनिष्ठ संबंध है। इनके बीच पारस्परिक आत्मनिर्भरता है। व्याख्यान के तहत उन्होंने बताया कि भूगोल विषय के आयाम से लेकर वर्तमान तक हर स्तर पर पर्यावरण आ गया है। भौगोलिक चिंतन में मानव पर्यावरण संबंध को समझने के कई उपगम है। नियतिवाद उपागम, संभववाद, नव निश्चयवाद आदि। नियतिवाद प्रकृति को श्रेष्ठ मानता है और संभव वाद मनुष्य को। नव निश्चयवाद बीच की स्थिति है। उन्होंने बताया कि जब मनुष्य पर्यावरण को अधिक क्षति पहुंचाता है, तो विनाशक परिस्थिति सामने आती है।
जलवायु परिवर्तन, ग्लोबल वार्मिंग और अम्ल वर्षा इत्यादि की समस्याएं सामने आ खड़ी हैं। प्रोफेसर फौजिया रहमान ने कहा कि पर्यावरणीय मूल्य तथा इसकी रक्षा का उत्तर दायित्व हमारे लिए महत्वपूर्ण हो जाता है। पर्यावरण की रक्षा करना हमारा मौलिक कर्तव्य है। इसके लिए पर्यावरणीय शिक्षा के साथ ही साथ जागरूकता भी आवश्यक है।
लॉकडाउन से प्रदूषण में आई है कमी
उन्होंने कहा कि कोविड-19 के कारण हुए लॉकडाउन के कारण प्रदूषण की मात्रा में कमी आई है। एयर क्वालिटी इंडेक्स में सुधार हुआ है। नदियां साफ हो रही हैं। उन्होंने कहा कि हमें अपनी विकास गाथा के लिए संसाधनों का अंधाधुंध दोहन नहीं करना चाहिए। हमें पर्यावरण की रक्षा करते हुए अपने विवेक बुद्धि तथा नैतिक उत्तरदायित्व को समझना चाहिए। हमें सतत विकास की ओर अग्रसर होना चाहिए।
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