मुशहरी प्रखंड में जननी बाल सुरक्षा योजना के तहत गर्भवती महिलाओं को दी जाने वाली प्रोत्साहन राशि वितरण में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। नया मामला मुशहरी सीएचसी का है, जहां छोटी कोठिया गांव की आधा दर्जन वृद्ध महिलाओं को 13 माह में 8 बार प्रसव दिखाकर उनके नाम पर राशि निकासी की गई। इस राशि को एक निजी संस्था के नाम पर ट्रांसफर किया गया। हालांकि, किस संस्था के नाम पर राशि ट्रांसफर की गई, इसकी जांच की जा रही है। मामला सामने आने पर स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन में हड़कंप मच गया।
डीएम डॉ. चंद्रशेखर सिंह ने चार अधिकारियों की टीम गठित करते हुए 2 दिनों में जांच रिपोर्ट मांगी है। उधर, स्वास्थ्य विभाग ने भी कार्रवाई शुरू कर दी है। आनन-फानन में सीएचसी प्रभारी उपेंद्र चौधरी ने मुशहरी सीएचसी के लेखापाल अवधेश कुमार पर प्राथमिकी दर्ज करने के लिए मुशहरी थाने में आवेदन दे दिया।
वहीं, मामला सामने आने के बाद सीएसपी संचालक के फरार हो जाने की बात सामने आई है। इधर, स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने भी राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक मनोज कुमार को जांच कर रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है। बताया जा रहा है कि शुक्रवार को कार्यपालक निदेशक मुशहरी पहुंचकर मामले की जांच करेंगे।
खाते में हर माह 1400 रुपए भेजे गए, अगले दिन हो गई निकासी
मुशहरी सीएचसी की रोहुआ पंचायत के छोटी कोठिया गांव में कई महिलाओं के खाते में जननी बाल सुरक्षा योजना की राशि डाली गई। इसका कोई रिकाॅर्ड सीएचसी में दर्ज नहीं है। इस मामले में छोटी कोठिया निवासी शांति देवी (65 वर्ष), पति शिवचरण सहनी के नाम पर वर्ष 2019 में 13 महीने में 8 बार प्रसव दिखाया गया है। इस महिला के खाते में प्रत्येक महीने 1400 प्रोत्साहन राशि भेजी गई। यह राशि अगले ही दिन एक निजी संस्था के नाम पर ट्रांसफर हो गई। इसी गांव की लीला देवी, सोनी देवी, सोनिया देवी के नाम पर भी कई माह तक प्रोत्साहन राशि के रूप में 1400 रुपए क्रेडिट हुए फिर अगले दिन निकल गए।
अपर समाहर्ता राजेश कुमार के नेतृत्व में 4 सदस्यीय जांच टीम गठित की गई है। 2 दिनों में रिपोर्ट मांगी गई है। रिपोर्ट में जो भी दोषी पाए जाएंगे, उनके विरुद्ध सख्त कानूनी व कठोर कार्रवाई की जाएगी। -डॉ. चंद्रशेखर सिंह, डीएम
सबसे पहले फर्जी निकासी का मामला भास्कर ने उठाया था
जननी सुरक्षा योजना में फर्जी निकासी का मामला 9 अक्टूबर 2016 को दैनिक भास्कर ने उठाया था। 17 नवंबर 2018 को राज्य स्वास्थ्य निदेशक ने घोटाले की बात स्वीकार करते हुए विजिलेंस से जांच करवाने की बात कही थी। लेकिन, जांच ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।
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