पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स पर राज्य सरकारों के सेल्स टैक्स की वसूली जून तिमाही में 25 फीसदी घटने का अनुमान है। इसके बावजदू पूरे कारोबारी साल में पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स पर राज्यों के सेल्स टैक्सी की वसूली सालाना आधार पर 7-9 फीसदी बढ़कर 1.96 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच सकती है। यह बात घरेलू रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने गुरुवार को जारी अपनी एक रिपोर्ट में कही।
रेटिंग एजेंसी ने कहा कि बिक्री में इजाफा होने, केंद्र और राज्यों की टैक्स बढ़ातरी के असर और कच्चे तेल की कीमत में बढ़ोतरी होने से पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स पर सेल्स टैक्स की वसूली में बढ़ोतरी होगी। हालांकि कोरोनावायरस संक्रमण अब भी तेजी से फैल रहा है और भविष्य में यह कौन सी दिशा लेगा, इस बारे में अभी कुछ नहीं कहा जा सकता है। इसलिए यह टैक्स वसूली के अनुमान को प्रभावित कर सकता है।
पेट्रोल और डीजल की बिक्री में बढ़ोतरी
क्रिसिल ने अपने बयान में कहा कि पेट्रोल और डीजल की बिक्री के सम्मिलित वॉल्यूम में बढ़ोतरी हुई है। यह अप्रैल के 43 फीसदी से करीब दोगुना होकर जून में 85 फीसदी पर पहुंच गया। हालांकि जुलाई में सालाना आधार पर यह मामूली गिरावट के साथ 83 फीसदी पर आ गया।
केंद्र सरकार का एक्साइज ड्यूटी बढ़ने से भी बढ़ी राज्यों की सेल्स टैक्स आय
क्रिसिल रेटिंग्स के निदेशक अंकित हाखू ने कहा कि पेट्रोल और डीजल पर केंद्र का एक्साइज ड्यूटी बढ़ने से भी राज्यों की सेल्स टैक्स आय बढ़ी। एक्साइज ड्यूटी बढ़ने से राज्यों को प्रति लीटर औसतन 3 रुपए का अतिरिक्त सेल्स टैक्स मिल रहा है। इसके अलावा कई राज्यो ने अपने सेल्स टैक्स में भी 1.5-1.8 रुपए प्रति लीटर की बढ़ोतरी कर दी है।
सेल्स टैक्स बढ़ने से राज्यों की राजकोषीय हालत संभलेगी
एजेंसी के मुताबिक पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स पर सेल्स टैक्स से होने वाली आमदनी राज्यों के कुल रेवेन्यू में 15 फीसदी का योगदान करती है। इसलिए सेल्स टैक्स वसूली बढ़ने से राज्यों की राजकोषीय हालत संभलेगी। कोरोनावायरस लॉकडाउन के कारण राज्यों की राजकोषीय हालत खराब हो गई है।
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