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क्षेत्रीय भाषाओं में पढ़ाई के लिए शिक्षकों को देना होगा प्रशिक्षण https://ift.tt/2Dad8Ai

शिक्षा व्यवस्था में जरूरत के अनुसार बदलाव होते रहना समय की मांग है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय के शिक्षा नीति में किए जाने वाले बदलाव को प्रशंसनीय कदम कहा जा सकता है। लेकिन इस तरह के सकारात्मक बदलाव के बाद सरकार के सामने अब नई चुनौतियां भी आकर खड़ी हो गई हैं। नई नीतियों को धरातल पर उतरना आसान नहीं है। यह कहना है सुपर-30 के संचालक आनंद कुमार का।

आनंद कुमार ने कहा कि पढ़ाई का माध्यम चाहे ऑफलाइन रहा हो या फिर इस काेराेना काल में ऑनलाइन, अच्छे शिक्षक की जरूरत हमेशा बनी रहती है। अब पांचवीं कक्षा तक की पढ़ाई क्षेत्रीय भाषाओं में होगी। इससे ग्रामीण विद्यार्थियों को फायदा होगा, उन्हें आसानी से विषय समझ में आएगा। लेकिन क्षेत्रीय भाषाओं में पढ़ाने का अनुभव बहुत ही कम शिक्षकों को है। इसके लिए शिक्षकाें के बड़े समूह काे प्रशिक्षित करना होगा। क्षेत्रीय भाषाओं में पुस्तकाें का प्रकाशन भी चुनाैती है।
उन्हाेंने कहा कि सरकार को ऐसे शिक्षक तैयार करने हाेंगे जो सभी विषयों के इंटर रिलेशन को अच्छे से समझ और फिर बच्चों को समझा सकें। शिक्षकों की कमी दूर करने के लिए सरकार को नए शिक्षकों की बहाली के साथ-साथ पुराने शिक्षकों को भी प्रशिक्षित करते रहना होगा। कंप्यूटर तथा मल्टीमीडिया की ट्रेनिंग भी शिक्षकों के लिए अनिवार्य करनी होगी। यह भी बहुत अच्छी बात है कि अब जीडीपी का 6 प्रतिशत शिक्षा के मद पर खर्च किया जाएगा।

मेरा मानना है कि शिक्षकों के वेतन में इजाफा होना चाहिए, जिससे नौजवान शिक्षण को बतौर पेशा अपनाने के लिए उत्साहित हो सकें। समय-समय पर बच्चों के फीडबैक के आधार पर शिक्षकों को सम्मानित करते रहने से उनका मनोबल बढ़ेगा। जरूरत इस बात की है कि नई शिक्षा नीति के साथ-साथ शिक्षकों की गुणवत्ता तथा पाठ्य-पुस्तक के नवीकरण पर ध्यान दिया जाए।



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Teachers will have to be trained to study in regional languages


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