बेनीबाद ओपी क्षेत्र में एक किशोरी से दाे युवकाें ने सामूहिक दुष्कर्म किया और बेहोशी की हालत में उसे छोड़ कर फरार हो गए। जानकारी हाेने पर ग्रामीणों ने एक आराेपी को पकड़ लिया और पुलिस को सौंप दिया। इधर, बेनीबाद ओपी पुलिस से मामले की शिकायत करने जब पीड़िता अपनी मां के साथ पहुंची तो पुलिस ने मेडिकल जांच करा कर आने का फरमान सुनाया।
थक हार कर पीड़िता व उसकी मां जांच करवाने जा रही थी कि रास्ते में पीड़िता बेहाेश हाे गई और उसे पीएचसी में भर्ती कराया गया, जहां स्लाइन चढ़ाई गई। मामले की जानकारी हाेने पर डीएसपी पूर्वी मनोज कुमार पाण्डेय के निर्देश पर बेनीबाद ओपी पुलिस उसे मेडिकल जांच करवाने लेकर गई।
इधर, पीड़िता ने बताया कि वह शाैच कर घर लौट रही थी कि रास्ते में रंजन कुमार व वीरेंद्र महतो ने चाकू दिखा कर राेक लिया। हाथ और मुंह बांध कर बगीचे में ले गए और सामूहिक दुष्कर्म किया। किसी काे बताने पर पूरे परिवार सहित उसे जान से मारने की धमकी दी। पीड़िता की मां ने बताया कि जब बेटी घर नहीं लाैटी तब हमने काफी खाेजबीन की। वह नहीं मिली। बाद में बगीचे में बेहोशी की हालत में मिली।
घर में नहीं थे पुरुष परिजन, गिड़गिड़ाने का भी असर नहीं
जब होश आया तो उसने सारी बातें बताई। ग्रामीणों ने आराेपी रंजन कुमार काे दबाेच लिया और पुलिस के हवाले कर दिया। जब वे लोग शिकायत करने बेनीबाद ओपी गए तो पुलिस ने आवेदन लिखवा लिया व कहा कि मेडिकल जांच करा लाओ, तब एफआईआर करेंगे। हम दाेनाें गिड़गिड़ाती रही कि हमारे पास कोई पुरुष परिजन नहीं है। हम लाेग अकेले मेडिकल कैसे जाए।
यहां तक कि पुलिस ने न पर्ची दी और न ही साथ में पुलिस। गिड़गिड़ाने के बाद भी पुलिस पर काेई प्रभाव नहीं पड़ा। थक हारकर हमलाेग मेडिकल जांच करवाने जा रहे थे कि रास्ते में बेटी बेहाेश हाेकर सड़क पर गिर पड़ी। स्थानीय लोगों ने पीएचसी में भर्ती कराया। डीएसपी पूर्वी के निर्देश पर ओपी पुलिस वहां से मेडिकल जांच के लिए लेकर गई।
^रेप पीड़िता को मेडिकल जांच के लिए पुलिस अभिरक्षा में भेजा जाता है। बिना पुलिस के कैसे मेडिकल जांच होगी। मामला संज्ञान में आते ही मेरे निर्देश के आधे घंटे के भीतर बेनीबाद ओपी पुलिस महिला गार्ड के साथ पीएचसी पहुंची और पीड़िता काे मेडिकल जांच के लिए ले गई। पीड़िता काे न्याय दिलाया जाएगा। दाेषियाें पर सख्त कार्रवाई हाेगी। -मनोज कुमार पाण्डेय, डीएसपी पूर्वी
कोर्ट के आदेश के 9 दिन बाद भी ब्रजेश ठाकुर के रिमांड के लिए पुलिस नहीं दे सकी अर्जी
समाज कल्याण विभाग से संचालित स्वाधार गृह से 11 महिलाओं व चार बच्चों को रातों-रात गायब कर देने के मामले के मुख्य आरोपी बृजेश ठाकुर को न्यायिक रिमांड पर मुजफ्फरपुर लाने की कार्रवाई में पुलिस हीलाहवाली बरत रही है। कांड की आईओ महिला थानेदार नीरू कुमारी ने स्पेशल एससी/एसटी कोर्ट में ब्रजेश ठाकुर के रिमांड से संबंधित आवेदन दाखिल की थी।
कोर्ट ने सुनवाई के बाद पुलिस को ऑनलाइन अर्जी देने का आदेश दिया था। 9 दिन बीत गए। अब तक महिला थानेदार ने अर्जी दाखिल नहीं की है। महिला थानेदार ने बताया कि दूसरे कांडाें की जांच व्यस्तता के कारण कोर्ट में ऑनलाइन अर्जी नहीं दे पाई है। लेकिन, शीघ्र ही अर्जी दी जाएगी।
स्वाधार गृह कांड कार्रवाई में विलंब
दरअसल, स्वाधार गृह कांड में कार्रवाई करने में पुलिस शुरुआत से ही लेटलतीफी बरत रही है। इस कांड में तत्कालीन आईजी सुनील कुमार ने समीक्षा की थी। उन्होंने स्वाधार गृह के नाम पर समाज कल्याण विभाग के फंड की राशि गबन की साजिश के बिंदु पर जांच का निर्देश दिया था। कहा था कि ब्रजेश ठाकुर से मिलीभगत रखने वाले अधिकारी व कर्मचारियों को चिन्हित कर आरोपी बनाया जाएगा। आईजी की समीक्षा के डेढ़ साल बाद महिला थाने की पुलिस ने कांड में फर्जीवाड़ा की धारा जोड़ी। हालांकि, अब तक फर्जीवाड़ा करने वाले कर्मचारी या अधिकारी को चिन्हित नहीं किया गया है।
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