एनडीए की सीट शेयरिंग में लोजपा की भारी पेंच के बीच जदयू ने अपने पाले की सीटों के बारे में लगभग सबकुछ तय कर लिया है। सोमवार को जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपनी कोर टीम के साथ पूरे 7 घंटे बैठे और बारी-बारी से सीटों और उम्मीदवारी पर बात की।
सिटिंग सीटों के अलावा उन सभी सीटों को भी देखा गया, जहां पार्टी लड़ने की उत्कट इच्छा रखती है। भाजपा द्वारा लोजपा को नॉर्मल करने या उसके बारे में अंतिम तौर पर कुछ तय करते ही, जदयू उससे (भाजपा) सीटों के तालमेल पर बात करेगी। जदयू ने माना हुआ है कि लोजपा को शांत-संतुष्ट करने का जिम्मा भाजपा का है। भाजपा इस जिम्मेदारी में जुटी हुई भी है। जदयू की बैठक में लोजपा द्वारा 143 सीटों पर लड़ने की लगातार कही जा रही बात पर गौर किया गया।
इसके बहुत खतरनाक मायनों-मतलब पर चर्चा हुई; इसे बहुत शातिर राजनीतिक चाल के रूप में चिह्नित किया गया। बैठक की स्पष्ट समझ रही कि लोजपा के एनडीए में रहते हुए उसका यह कारनामा बिल्कुल मंजूर नहीं है। जदयू, 2010 के सीट शेयरिंग के फार्मूले के पक्ष में रही है। इसके वास्ते उसके पास गठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी का तर्क या हवाला रहा है।
2010 के विधानसभा चुनाव में जदयू 141 सीटों पर लड़ी थी। भाजपा 102 सीटों पर लड़ी थी। अबकी भाजपा, जदयू के बराबर सीटें चाहती है। जदयू सूत्रों के मुताबिक उसके और भाजपा के बीच सीटों की संख्या को लेकर कोई बड़ा मसला नहीं है। दोनों के बीच सीटों की संख्या का इतना बड़ा अंतर नहीं रहेगा, जो उनके रिश्तों को ऐन चुनावी मौके पर खराब करे।
राजद नेता इलियास के बेटे भी जदयू में, बेटी पहले से ही थी
राजद के वरिष्ठ नेता व पूर्व मंत्री मो. इलियास हुसैन की पुत्री डॉ. आसमा परवीन तो जदयू में थीं ही, अब उनके पुत्र फिरोज हुसैन भी जदयू में आ गए। फिरोज को जदयू के राष्ट्रीय महासचिव आरसीपी सिंह ने सदस्यता दिलाई। इस दौरान फिरोज ने कहा-राजद गरीबों की पार्टी नहीं है। उन्होंने चुनाव नहीं लड़ने की बात कही। इधर, दरभंगा के कई सामाजिक कार्यकर्ताओं को जदयू अध्यक्ष व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पार्टी की सदस्यता दिलाई।
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