प्रखंड मुख्यालय के नजदीक लखनदेई नदी पर बना बांध इस बरसात में तीसरी बार क्षतिग्रस्त हो गया है। विगत वर्ष भी कई बार इसकी मरम्मत की खानापूर्ति की गई थी। इस वर्ष भी दो बार इसकी मरम्मत की खानापूर्ति की गई है। इसके बावजूद तीसरी बार बांध का क्षतिग्रस्त होना मरम्मत कार्य पर सवाल उठा रहा है।
बांध क्षतिग्रस्त होने से प्रखंड के दर्जन भर गांवों की एक लाख से अधिक आबादी प्रभावित होती है। मनुषमारा और लखनदेई नदी में पानी बढ़ने से घनश्यामपुर, नयागांव, आलमपुर सिमरी, रतवारा, औराई, खेतलपुर समेत कई पंचायतों के चौर व वास की जमीन जलमग्न हो जाती है। कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार, कुल आच्छादन की 80 प्रतिशत खरीफ की फसल इस बार बर्बाद हो चुकी है।
लखनदेई बांध परियोजना बागमती प्रोजेक्ट के अंतर्गत ही है। जदयू प्रखंड अध्यक्ष बेचन महतो कहते हैं कि दोनों तटबंधों के बीच जमीन अधिग्रहण की समस्या है। कई गांव विस्थापित हो सकते हैं। जमीन एवं राशि का अभाव दिखा कर बागमती प्रोजेक्ट के अधिकारी इसके नवनिर्माण को ठंडे बस्ते में रखना चाहते हैं जिसका खामियाजा क्षेत्र के लाखों लोगों को प्रत्येक साल भुगतना पड़ता है। बताया जाता है कि 50-60 के दशक के बीच किसानों के श्रमदान से कृषि एवं पटवन के उद्देश्य से इस बांध को बनाया गया था।
लखनदेई एवं मनुषमारा नदी के जलस्तर में फिर से बढ़ोत्तरी, दर्जन भर गांवों में घुसा बाढ़ का पानी
लखनदेई एवं मनुषमारा नदी के जलस्तर में फिर से बढ़ोत्तरी होने लगी है। बभनगामा पश्चिमी, चैनपुर, मधुबन प्रताप, बेनीपुर मूल गांव, तरवन्ना, बाडा, हरनी टोला, राघोपुर समेत दर्जन भर गांवों में फिर से बाढ़ का पानी फैल चुका है। जिससे त्राहिमाम की स्थिति बनी हुई है। जिससे फिर से बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो गई है। वहीं, किसानों की बची हुई खरीफ फसल पर भी ग्रहण लग गया है। स्थानीय लोगों ने प्रशासन पर बांध की मरम्मत के नाम पर खानापूर्ति करने का आरोप लगाया है।
दूसरी ओर, धरहरवा पंचायत के गांवों में मनुषमारा नदी का दुर्गंधित पानी पुनः फैलने लगा है। जिससे नारकीय स्थिति उत्पन्न हो गई है। धरहरवा से हनुमान नगर जाने वाली सड़क क्षतिग्रस्त हो गई है। पानी का बहाव सड़क के ऊपर से हो रहा है। प्रखंड मुख्यालय के निकट नयागांव चौर में भी फिर से लखनदेई एवं मनुषमारा का पानी फैलने लगा है। हालांकि, बागमती का जलस्तर रविवार की दोपहर बाद स्थिर रहा। कटौझा में जलस्तर खतरे के निशान से 131 सेमी ऊपर था।
साहेबगंज के दियारा इलाके में घटने लगा बाढ़ का पानी
गंडक नदी के जलस्तर में हो रही वृद्धि थमने के साथ प्रखंड के दियारा इलाके की सात पंचायतों में बाढ़ की स्थिति में सुधार हो रहा है। बाल्मीकि नगर बराज से गंडक नदी में शनिवार को 2.80 लाख क्यूसेक एवं रविवार को 1.69 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया। जिससे गंडक नदी का जलस्तर धीरे-धीरे कम होना शुरू हो गया है। दो दिनों से क्षेत्र में बारिश नहीं होने से भी जलजमाव की स्थिति में सुधार हुआ है। उधर, बाढ़ की स्थिति के कारण दियारा इलाके के बाढ़ पीड़ित माल-मवेशियों के साथ तिरहुत तटबंध एवं बंगरा घाट पुल जाने वाले मार्ग पर शरण लिए हुए हैं।
रविवार को सांसद वीणा देवी एवं सामाजिक कार्यकर्ता कोमल सिंह ने भी क्षेत्र में भ्रमण कर बाढ़ पीड़ितों की सुधि ली। इधर, पारू में गंडक नदी का पानी बांध किनारे बसे उस्ती पंचायत के एक सौ घरों में घुस गया है। एक तरफ वर्षा की पानी तो दूसरी तरफ नदी के जलस्तर में वृद्धि होने से माधोपुर बुजुर्ग भागवतपुर सिंगाही गांव के लोगों के समक्ष रहने और पशुचारा की समस्या हो गई है।
देवरिया में गंडक व बाया नदी का पानी फिर से उफान पर
क्षेत्र से होकर गुजरने वाली गंडक नदी व बायां नदी का पानी उफान पर है। चांदकेवारी, धरफरी, सोहांसा, सोहांसी, चक देवरिया आदि गांवों में गंडक नदी का पानी लोगों के घर में घुस गया है। इन गांवों के करीब दो हजार परिवार दोबारा बाढ़ से प्रभावित हो गए हैं।
तिरहुत तटबंध के पश्चिम किनारे बसे सैकड़ों घर बाढ़ के पानी में डूब गए हैं। जिसके बाद बाढ़ पीड़ितों को ऊंचे स्थानों पर शरण लेना पड़ रहा है। दूसरी ओर बाया नदी के जलस्तर में भी तेजी से बढ़ोत्तरी हो रही है। जिससे इस नदी के किनारे बसे मोहब्बतपुर, लखनौरी, विशुनपुर सरैया, देवरिया पूर्वी, सरैया आदि गांवों के लोग भी काफी भयभीत हो गए हैं। फिर से बाढ़ के कारण बेघर होने की चिंता सताने लगी है।
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