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नौवें दिन जैन धर्मावलंबियों ने उत्तम आकिंचन्य धर्म की आराधना की https://ift.tt/31IeEmI

आत्मशोधन का महापर्व पर्यूषण पर जैनियों का धार्मिक उत्साह चरम पर है। इसी उत्साह के बीच आत्मशुद्धि के इस परम पावन महापर्व के नौवें दिन सोमवार को श्रद्धालुओं ने अपने घरों में दशलक्षण धर्म के नवम स्वरूप उत्तम आकिंचन्य धर्म की विशेष आराधना की।

इस अवसर पर जैनियों की प्रमुख तीर्थस्थली चौबीसवें तीर्थंकर भगवान महावीर के प्रथम शिष्य श्री गौतम गणधर स्वामी की निर्वाण भूमि नवादा स्थित श्री गोणावां जी दिगम्बर जैन सिद्ध क्षेत्र पर लॉकडाउन के नियमों का अनुपालन करते हुए भीड़ रहित माहौल में जिनेंद्र प्रभु का अभिषेक किया।

साधकों ने शांति अभिषेक कर जिनेंद्र प्रभु से सर्वशान्ति की कामना के पश्चात उत्तम आकिंचन्य धर्म की विशेष पूजा-अर्चना की। इसके साथ ही तीर्थंकर चंद्र प्रभु की भी आराधना की गई। उत्तम आकिंचन्य धर्म के महत्व पर प्रकाश डालते हुए समाजसेवी दीपक जैन ने कहा कि आज मनुष्य आवश्यकता से अधिक संचय करने की भावना से अभिभूत है। अवांछित संचय की अपनी इसी प्रवृत्ति के कारण वह अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिए कुमार्ग पर चल पड़ता है, जो कि उसके समस्त दुःखों का कारण बन जाता है।

ये सारे कुत्सित व्यभिचार मोह-माया में लिप्त रहने के कारण आते हैं। उन्होंने कहा कि क्रोध, अहंकार, कपट, लोभ, परिहास, भय एवं शोकादि का दमन कर ही मनुष्य मोह-माया से मुक्त हो सकता है। जो मनुष्य अपनी आत्मा के सिवाय रंचमात्र भी सांसारिक भोगों में लिप्त नहीं रहता, वही आकिंचन्यधर्मी कहलाता है।

मिथ्यात्व को त्याग कर स्वत्व में लीन हो जाना ही उत्तम आकिंचन्य धर्म बताया। इस अवसर पर जैन साधकों ने आवश्यकता से अधिकता का त्याग करने का हर सम्भव प्रयास का संकल्प लिया। संध्या समय श्रद्धालुओं ने भक्तिमय मंगल आरती कर जिनेंद्र प्रभु के चरणों में श्रद्धासुमन अर्पित किए।

तत्पश्चात णमोकार महामंत्र का उद्घोष कर प्राणीमात्र के कल्याण के साथ ही विश्वशांति की कामना की। कार्यक्रम में दीपक जैन के साथ ही क्षेत्र प्रबंधक विमल जैन, महेश जैन, लक्ष्मी जैन, श्रुति जैन, श्रेया जैन, अनिता जैन, वीणा जैन, खुशबू जैन, रितिका जैन और मधु जैन ने अपनी सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित की।

मंगलवार को जैन धर्मावलम्बी दशलक्षण धर्म के अंतिम दशम स्वरूप उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म.की आराधना करेंगे। इसके साथ ही अनंतचतुर्दशी का व्रत रख भगवान वासुपूज्य के निर्वाणोत्सव पर उनके चरणों में निर्वाण लड्डू समर्पित करेंगे।



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On the ninth day, Jain religious people worshiped the best Akhicanya religion


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