पप्पू यादव हिन्दी पट्टी की राजनीति में असरदार कारक होंगे। दरअसल वह जिस धारा और सोच की राजनीति करने का दावा करते हैं, समय के साथ उसमें और उछाल बिल्कुल स्वाभाविक है। इस क्रम में उनका बेहद सक्रिय और फायरी अंदाज उनका मददगार होगा।
पप्पू, बिहार विधानसभा चुनाव में तीसरा मोर्चा की धुरी बनने की कवायद में हैं। अपनी जन अधिकार पार्टी (लो.) को विस्तार दिया है। तीन और पार्टियों के साथ प्रगतिशील लोकतांत्रिक गठबंधन बनाया है। उनका यह दावा परखा जाना बाकी है कि गठबंधन में असर रखने वाली कई और पार्टियां आएंगी।
यह, खुद को ‘द्रोहकाल का पथिक’ कहने वाले इस शख्स के जीवन का शुरुआती रंग है। कई रंग जिए। आरक्षण आंदोलन के दौरान कोसी इलाके में टकराहट का रंग, बाहुबली का रंग, जेल यात्राओं का रंग, विधानसभा में अपने बूते जाने का रंग। सपा, राजद, होते पार्टी खड़ी करने की ताकत का रंग।
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