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रालोसपा के साथ गठबंधन के बाद बसपा को जीत की आस, 2009 के बाद बिहार में नहीं मिली जीत https://ift.tt/3n9mVZk

बसपा ने विधानसभा चुनाव 2020 के लिए रालोसपा से गठबंधन किया है। दोनों को बेहतर करने की उम्मीद है। अगर विधानसभा चुनाव 2015 की कुछ सीटों पर गौर करें तो बसपा के उम्मीदवारों को बिना किसी गठबंधन के काफी वोट मिले थे। चैनपुर विधानसभा सीट पर तो बसपा के उम्मीदवार महज 563 वोट से चुनाव हारे थे। पार्टी के उम्मीदवार 18 सीटों तीसरे स्थान पर रहे थे। गठबंधन के बाद चैनपुर सीट को लेकर पार्टी काफी उत्साहित है।
बसपा का जनाधार यूपी की सीमा से सटे जिलाें पर है। दलित के एक खास वर्ग में बसपा सुप्रीमो मायावती को लेकर जबर्दस्त क्रेज है। 2015 में हालांकि पार्टी को एक भी सीट नहीं मिली पर चैनपुर सीट पर पार्टी के उम्मीदवार महज 563 वोट से ही हारे। इस सीट पर जीत दर्ज करने वाले भाजपा के उम्मीदवार को 58659 वोट मिले, जबकि बसपा के उम्मीदवार को 58096 वोट मिले थे। चुनाव में पार्टी 228 सीटों पर लड़ी थी। बसपा को कुल 788047 वोट मिले थे। उत्तर प्रदेश सीमा से सटे 18 सीटों पर पार्टी तीसरे स्थान पर रही थी।

पहली बार 1995 के चुनाव में बसपा का खुला था खाता
बसपा राज्य में पहली बार 1995 के विधानसभा चुनाव में खाता खोलने में सफल रही थी। पार्टी के दो उम्मीदवारों काे जीत मिली थी। 2000 में पार्टी के पांच उम्मीदवार सफल रहे। 2005 के चुनाव में भी बसपा के दो उम्मीदवार जीते थे। किसी राजनीतिक पार्टी या गठबंधन को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलने से राज्य में किसी दल की सरकार नहीं बन सकी और नवंबर 2005 में दोबारा चुनाव हुआ।



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इस बार बिहार में रालोसपा और बसपा का गठबंधन हुआ है। इससे बसपा को ज्यादा उम्मीदें हैं।


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