घटना बिहार के मधुबनी जिले की है। यहां रविवार को बाबूबरही थाने के बरैल गांव में श्राद्ध में भोज के लिए कराह में उबलन रहे दूध में गिरने से दो बच्चों की मौत हो गई। सबसे परेशान करने वाली बात यह है कि बुरी तरह जल चुके दोनों बच्चों को किसी भी अस्पताल में कहीं इलाज नहीं मिला। सिर्फ उन्हें एक सरकारी अस्पताल से दूसरे में रेफर किया जाता रहा। और इसी सिलसिले में उनकी मौत हो गई।
ग्रामीणों ने बताया कि गांव के सबसे बुजुर्ग रामविलास दास की 100 साल में मौत हो गई थी। जिनका श्राद्ध कर्म रविवार हो रहा था। ग्रामीण इसकी बड़ी तैयारी कर रहे थे। भोज के लिए 200 लीटर दूध मंगवाया गया था और उसे कराह में उबाला जा रहा है। ये सारा कार्यक्रम घर के बाहर हो रहा था। बच्चों में भी इसको लेकर कौतुहल था।
पास में ही रहने वाली पांच साल की अंजली डेढ़ साल के अमित को गोद में लेकर उबलते हुए दूध देखने कराह के पास पहुंची। इसी क्रम में उसका संतुलन बिगड़ गया और बच्चे के साथ उबलते हुए कराह में गिर पड़ी।
आंखोंदेखी-पांच साल की बच्ची डेढ़ साल के बच्चे को गोद में उठाने लगी, संतुलन बिगड़ने से हुआ दर्दनाक हादसा
कराह के पास कोई नहीं था। इसलिए जब तक लोग पहुंचते तब तक दोनों काफी जल चुके थे। आनन- फानन में दोनों को कारह से निकाला गया और इलाज के लिए खुटौना ले गए। बच्चों की स्थिति गंभीर देखा खुटौना अस्पताल के डॉक्टर ने उन्हें खुटौना से 35 किमी दूर मधुबनी के सदर अस्पताल रेफर कर दिया। परिजन जब मधुबनी सदर अस्पताल पहुंचे तो यहां के डॉक्टरों ने उन्हें 45 किमी दूर डीएमसीएच रेफर कर दिया।
इस दौरान रास्ते में ही डेढ़ वर्ष के अमित ने दम तोड़ दिया। परिजन अंजलि को लेकर डीएमसीएच पहुंचे, लेकिन डीएमसीएच में वर्न यूनिट नहीं होने के कारण डॉक्टर ने अंजलि को पीएमसीएच रेफर कर दिया। परिजनों के पास इलाज व एम्बुलेंस के लिए पैसे नहीं होने से वे काफी देर तक मदद की आस में इंतजार करते रहे। इसी दौरान अंजलि ने भी दम तोड़ दिया।
- जैसा प्रत्यक्षदर्शी रघुदास ने भास्कर को बताया
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