
हबीबपुर थाने में दर्ज दहेज प्रताड़ना और बाल विवाह के एक मामले में दो जांच अधिकारी की लापरवाही सामने आई है। सिटी एसपी ने दोनों जांच अधिकारी को उनके सेवा पुस्तिका में एक-एक सेंसर की सजा दी है और भविष्य के लिए भी हिदायत दी है।
मामला हबीबपुर थाना केस नंबर-55/19 से जुड़ा हुआ है। यह केस अप्रैल 2019 में केस दर्ज हुआ था, लेकिन अब तक आईओ ने लड़की की उम्र जांच ही नहीं की, जिससे बाल विवाह का सबूत मिल सके। जांच नहीं होने से अब तक केस लंबित चला आ रहा है।
युवती ने पिता, पति और ससुरालवालों पर किया था केस
हबीबपुर के मोहद्दीनपुर निवासी शादी-शुदा युवती ने पिता, पति समेत अन्य ससुरालवालों के खिलाफ बाल विवाह, दहेज प्रताड़ना का केस दर्ज कराया था। जांच में पिता, पति समेत अन्य आरोपियों पर केस ट्रू हुआ। युवती ने दावा किया कि उसकी शादी नाबालिग अवस्था में कराई गई, उसके पिता और दादी का योगदान था। पिता ने बोझ समझ कर 16 साल की उम्र में शादी करा दी थी।
जब ससुराल गई तो वहां दहेज के लिए पति व अन्य ससुरालवाले प्रताड़ित करने लगे। युवती के शैक्षणिक प्रमाण-पत्र, आधार कार्ड आदि से पीड़िता की उम्र का सत्यापन जांच अधिकारी को करना था। केस के शुरूआती आईओ जमादार राजेश कुमार थे। इसके बाद जमादार उपेंद्र तिवारी आईओ बने। लेकिन निर्देशों का दोनों ने अनुपालन नहीं किया।
पुलिस ने आरोपी के गिरफ्तारी का प्रयास भी नहीं किया
किसी आरोपी की गिरफ्तारी के लिए भी प्रयास नहीं किया गया। आरोपियों के फरार रहने की स्थिति में वारंट, कुर्की के लिए भी अर्जी नहीं दी। शुरूआती आईओ राजेश कुमार ने आरोपी पक्ष को लाभ पहुंचाने के लिए कुछेक स्वतंत्र गवाह का बयान लेकर खानापूर्ति की। जांच के दौरान दोनों की लापरवाही सामने आई।
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