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पीएमसीएच में बेड खाली, बाहर जमीन पर मरीज, तस्वीर दिखाने के बाद भी राहत नहीं https://ift.tt/2MgQIBB

कोई बच्चा अपनी मां के दूध से महरूम है तो कोई मां अपने बच्चे के इलाज के लिए बार-बार पीएमसीएच के दरवाजे पर दस्तक लगा रही है। लेकिन ना तो हड़ताल पर गए जूनियर डॉक्टर अपनी जिद छोड़ रहे हैं और न ही विभाग अपने वादे को निभा रहा है। दलालों की चांदी है। लोगों को किसी तरह से राहत नहीं मिल रही है। इलाज है तो वह जेब पर भारी पड़ रही है। लोगों को जांच और छोटी-मोटी परेशानियाें के लिए भी ठीक-ठाक रकम खर्च करनी पड़ रही है।

काफी मन्नतों के बाद जनदाहा (अरहुआ) की रहने वाली पूजा को लड़का हुआ था। डेढ़ महीने की उम्र में ही पीएमसीएच में सोमवार को बेटे हिमांशु ने दम तोड़ दिया। बेटे की मौत की खबर सुनकर पूजा रो-रो कर बेसुध हो जा रही थी। सिर्फ बेटे को दिखाने के लिए कहती है। पूजा इस तरह से बेसुध होकर रो रही थी कि आसपास में खड़ी महिलाओं के आंसू छलक जा रहे थे। हिमांशु की नानी तो दहाड़ मारकर रो रही थी। हिमांशु के पिता बेटे का शव लेने के लिए गए हुए थे।

नीचे ऑटो भी इन लोगों ले जाने के लिए आ चुका था। थोड़े ही देर में गौतम बेटे के शव लेकर आते देख परिवार की महिलाएं बिलख उठती हैं। गौतम परिवार की महिलाओं के साथ घर के लिए निकल जाते हैं। हिंमाशु पहले से बीमार था। उसे सांस लेने में दिक्कत हो रही थी। हिमांशु का स्थानीय स्तर पर इलाज चल रहा था। पर स्थिति गंभीर होने पर चिकित्सकों ने उसे पीएमसीएच भेज दिया था। रविवार की रात उसे पीएमसीएच में भर्ती कराया गया था।

परिजनों का कहना था कि जब बच्चा बचा ही नहीं तो इलाज क्या हुआ क्या कहा जाए। वहीं पीएमसीएच के चिकित्सकों का कहना था कि बच्चे को काफी गंभीर स्थिति में ला गया था। बच्चे जन्मजात दिल की बनावट में गड़बड़ी थी। इसके अलावा कफ जमा हो गया था। बच्चे को बचाने की हर संभव कोशिश की गई।

भर्ती की दौड़ में टूटा पैर, 24 घंटे बाद भी नहीं हुआ एक्सरे
हिलसा के रहने वाले सौरभ कुमार फौज में भर्ती के लिए होने वाली दौड़ में असंतुलित होकर गिर गए थे। जिससे उनका पैर टूट गया। पीएमसीएच में चेकअप के बाद एक्सरे के लिए लिखा, लेकिन भीड़ अधिक होने की वजह से 24 घंटे इंतजार के बाद भी एक्सरे नहीं हुआ। अब मंगलवार को एक्सरे हो पाएगा। वहीं पर समस्तीपुर के रहने वाले 75 वर्षीय मो. इस्लाम एक्सरे कराने के लिए ही शनिवार की शाम को पीएमसीएच के एक्सरे विभाग के सामने ही सो गए। तभी सोमवार को एक्स-रे हो पाया।

हड़ताल नहीं होती तो...चार महीने के बच्चे को मिल रहा होता मां का दूध
आरा के रहने वाले गुड्डू की पत्नी के साथ उसका बेटा भी बीमार है। उसकी पत्नी आरा में इलाज करा रही है, तो चार महीने का बेटा आलोक कुमार अपनी दादी के साथ पीएमसीएच में भर्ती है। उसके सर में दिक्कत है। डॉक्टरों की कमी से सर में होने वाली दिक्कत की जांच सही तरीके से नहीं हो रही है।

जिससे छोटे बच्चे के साथ ही उसके दादी को खिलाने-पिलाने में भी परेशानी हो रही है। मां की कमी की वजह से चार महीने का आलोक कुमार दूध नहीं पी रहा था। बाद मेडिकलकर्मियों की सलाह पर उसे सीरिंज से दूध पिलाया जा रहा है।

गुड्डू कुमार का कहना है कि बेटे के सर में होने वाली परेशानी दूर हो जाए, तो मां-बेटे का एक साथ आरा में ही इलाज संभव हो सकता है। जिससे बच्चों को खाने-पीने में होने वाली परेशानी भी दूर हो जाती। वहीं, पर जहानाबाद की आरती 12 महीने के बेटे को नेकर चार दिनों से लगातार आ रही है। लेकिन, ओपीडी में भीड़ होने की वजह से जब नंबर आता है, तो डॉक्टर उठ जाते हैं।

ईश्वर को भर्ती क्यों नहीं कर रहे?
सीतामढ़ी के ईश्वर को पीएमसीएच में अभी तक भर्ती नहीं किया गया और वह जमीन पर ही पड़े हुए है। 28 दिसबंर के दैनिक भास्कर में यह तस्वीर दिखाई थी।

मेडिकलकर्मी ही ब्लड जांच के लिए मरीज को भेज रहे बाहर
एक्सरे के साथ ही अल्ट्रासाउंड, ब्लड टेस्ट सहित दूसरे सभी जगहों पर होने वाली भीड़ की वजह से मरीजों को काफी परेशानी हो रही है। डॉक्टरों की कमी की वजह से मरीजों को ओपीडी में ही काफी समय लग जाता है। ऐसे में जब उनका नंबर आता है, तो एक्सरे, अल्टासाउंड, ब्लड टेस्ट करने वाला विभाग बंद हो जाता है। इसका फायदा दलाल के साथ ही मेडिकल कर्मी भी उठा रहे हैं। वे खुद ही मरीजों को प्राइवेट पैथोलोजी में भेज रहे हैं। मरीजों का सवाल है कि अस्पताल प्रशासन समय क्यों नहीं बढ़ा रहा।

स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव से मिले अधीक्षक
हड़ताल को लेकर जूनियर डॉक्टरों और स्वास्थ्य विभाग के बीच गतिरोध बना हुआ है। सोमवार को गतिरोध समाप्त करने को लेकर स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत से पीएमसीएच के अधीक्षक डॉ. विमल कारक मिले। प्रधान सचिव ने बताया कि हड़ताल के मुद्दे पर अभी तक कोई नतीजा नहीं निकला है। जूनियर डॉक्टर हड़ताल को लेकर न तो प्राचार्य और नहीं अधीक्षक से बात कर रहे हैं।

ओपीडी में आए 2100 मरीज, भर्ती भी बढ़ी
जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल से आईजीआईएमएस में ओपीडी और इंडोर में मरीज की संख्या बढ़ गई है। आईजीआईएमएस के ओपीडी सोमवार को 2100 मरीजों ने रजिस्ट्रेशन कराया। आईजीआईएमएस के ओपीडी में अमूमन यह संख्या 1200 से 1400 के बीच रहती है। पर जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल से ओपीडी में आने वाले मरीजों की संख्या बढ़ गई है।

इंडोर में भी मरीजों की संख्या बढ़ी है। यह जानकारी मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. मनीष मंडल ने दी। उन्होंने बताया कि कोरोना संक्रमण की वजह से प्रतिदिन इंडोर में 70 मरीजों के भर्ती होने की व्यवस्था रखी गई है। प्रतिदिन 70 से अधिक मरीज पहुंच रहे हैं। हालांकि कोविड की वजह से अभी भर्ती होने वाले हर मरीज को भर्ती करके कोरोना जांच कराई जाती है। रिपोर्ट निगेटिव आने पर मरीज को संबधित विभाग के वार्ड में शिफ्ट किया जाता है। इससे अधिक मरीज एक दिन में भर्ती नहीं किए जा सकते हैं।

नेत्ररोग विभाग में ताला
पीएमसीएच के नेत्र रोग विभाग के बाहर ताला लटक गया है। इस वार्ड में करीब एक सौ बेड है। जिनपर मरीजांे को भर्ती किया जाता है। लेकिन सोमवार को इस वार्ड में सन्नाटा रहा।



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मां की कमी की वजह से चार महीने का आलोक कुमार दूध नहीं पी रहा था। मेडिकलकर्मियों की सलाह पर उसे सीरिंज से दूध पिलाया जा रहा है।


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