जेएलएनएमसीएच, पीएमसीएच समेत राज्य के सभी मेडिकल कॉलेज अस्पतालों के जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल रविवार को पांचवें दिन भी जारी रहेगी। सरकार ने सख्ती बढ़ा दी है। रविवार से काम पर नहीं लौटने वाले डॉक्टरों का स्टाइपेंड काटा जाएगा। स्वास्थ्य विभाग ने हड़ताली जूनियर डॉक्टरों की सूची मांगी है। वैकल्पिक व्यवस्था पर भी तेजी से काम शुरू कर दिया गया है।
हड़ताल के लंबा खिंचने से जेएलएनएमसीएच, पीएमसीएच समेत सभी मेडिकल कॉलेज अस्पतालों की चिकित्सकीय व्यवस्था चरमरा गई है। शनिवार को दैनिक भास्कर टीम को पीएमसीएच में तीन और एनएमसीएच में दो ऐसे परिवार मिले, जिनके आरोप थे कि डॉक्टरों ने सही से इलाज नहीं किया, इसलिए उनके परिजनों की मौत हुई। ये सभी मौतें सुबह 3 बजे से सुबह 10 बजे के बीच में ही हुई।
परिजनों का आरोप है कि स्थिति दिन प्रतिदिन बिगड़ती जा रही है। हड़ताल जल्द नहीं टूटी तो हमारे जैसे रोने वालों की कतार लगी होगी। इधर, जेएलएनएमसीएच के प्रिंसिपल डॉ. हेमंत कुमार सिन्हा ने बताया कि शनिवार से शाम चार बजे प्रधान सचिव को रिपोर्ट भेजने का काम शुरू कर दिया गया है। अब स्वास्थ्य सेवा बाधित करने वाले जूनियर डॉक्टरों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया जाएगा।
जूनियर डॉक्टरों से वार्ता नाकाम रही
शनिवार को जूनियर डाॅक्टर एसाेसिएशन (जेडीए) व अस्पताल प्रशासन के बीच वार्ता विफल रही। अस्पताल प्रशासन ने हड़ताल वापस लेने की अपील की और स्टाइपेंड बढ़ाने की मांग पर विचार के लिए एक महीने का समय मांगा, लेकिन जेडीए राजी नहीं हुआ। उनका कहना है कि लिखित आश्वासन के बिना कोई बात नहीं हो सकती।
डॉक्टरों से काम पर लौटने का आग्रह, साथ ही इलाज के लिए वैकल्पिक व्यवस्था के निर्देश
स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने कहा कि सरकार की पहली प्राथमिकता राज्य के लोगों को स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध करवाना है। हड़ताल को देखते हुए विभाग ने वैकल्पिक व्यवस्था का भी निर्देश दिया गया है। यह जिम्मेदारी सिविल सर्जन की दी गई है। शनिवार को कुछ मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में जिले से डॉक्टर की व्यवस्था की गई है। सरकार ने जूनियर डॉक्टर से आग्रह किया है कि वे हड़ताल तोड़ काम पर लौटे।
आज से काटा जाएगा हड़ताली जूनियर डॉक्टरों का स्टाइपेंड, काम में बाधा डालने पर होगी कार्रवाई
पीएमसीएच के अधीक्षक डॉ. विमल कारक का कहना है कि विभाग से मिले-नो वर्क नो पे-आदेश के तहत हड़ताल करने वाले जूनियर डॉक्टरों के स्टाइपेंड से कटौती की जाएगी। इसके अलावा अस्पताल की चिकित्सकीय सुविधाओं के संचालन में कोई बाधा पहुंचाता है तो उसके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई भी की जाएगी। अधीक्षक के मुताबिक इमरजेंसी सुचारू रूप से चलाने के लिए सिविल सर्जन कार्यालय से 17 डॉक्टर ज्वाइन कर चुके हैं।
मां की दुआ बस इतनी कि कोई डॉक्टर देख ले
पीएमसीएच ओपीडी के पास सीतामढ़ी की महिला अपनी बहू के साथ बेटे ईश्वर को लेकर पड़ी है। एक महीने पहले ट्रक से उसका पैर जख्मी हुआ। पीएमसीएच में ऑपरेशन कर रॉड लगा। फिर इलाज की जरूरत है। चार दिन से कैंपस के अंदर फर्श पर ईश्वर डॉक्टरों का इंतजार कर रहा है। डॉक्टर सात दिन बाद बुला रहे हैं। मां भगवान से घड़ी-घड़ी यही दुआ कर रही है कि कोई डॉक्टर ईश्वर को देख ले।
जेएलएनएमसीएच में छह ऑपरेशन टले
जेएलएनएमसीएच में शनिवार को छह ऑपरेशन टाल दिए गए जबकि कई मरीज बिना इलाज कराए ही वापस लौट गए। जूनियर डॉक्टरों ने सरकार पर वादा खिलाफी का आरोप लगाते हुए धरना दिया। धरना में करीब 150 डॉक्टर शामिल हुए और जेडीए को मजबूत करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि आईजीआईएमएस में जूनियर डॉक्टरों को ज्यादा और हम सबको कम मानदेय दिया जा रहा है।
एसोसिएशन के महासचिव डॉ. सुधीर कुमार ने कहा कि जब तक हमारी मांगों को पूरा नहीं किया जाएगा तब तक शांतिपूर्ण धरना-प्रदर्शन जारी रहेगा। इधर, प्रिंसिपल डॉ. हेमंत कुमार सिन्हा ने जेएलएनएमसीएच के अनुशासन समिति के साथ बैठक की और हड़तालियों के मानदेय की कटौती करने का निर्णय लिया।
पैसा चाहे अभी न दें लिखित भरोसा चाहिए
अस्पताल प्रशासन की ओर से एक माह का समय मांगे जाने के मामले पर पटना जेडीए के सचिव डॉ. कुंदन सुमन का कहना है कि जबतक स्वास्थ्य विभाग से लिखित आश्वासन नहीं मिलता तब तक हड़ताल वापस लेने का कोई सवाल ही नहीं है। यह सिर्फ पीएमसीएच का नहीं बल्कि राज्य के सभी मेडिकल काॅलेज अस्पताल के जूनियर डॉक्टरों का मामला है। पैसा भले अभी नहीं दें पर लिखित देना होगा कि जनवरी 2020 से स्टाइपेंड में रिविजन किया गया।
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