स्टाइपेंड में वृद्धि की मांग काे लेकर मेडिकल काॅलेज अस्पताल के जूनियर डाॅक्टराें की हड़ताल आठवें दिन बुधवार काे भी जारी रही। इससे मरीजाें काे काफी दिक्कत हुई। ओपीडी में आए मरीजाें का भी ठीक से इलाज नहीं हाे पाया।
इसलिए दर्जनभर मरीज लाैट गए। सुबह आए मरीजाें का इलाज ताे ठीक से हुआ लेकिन दाेपहर बाद सीनियर डाॅक्टराें के जाने के बाद अाने वाले मरीजाें काे काफी दिक्कत हुई। इंडाेर वार्ड में भर्ती मरीजाेें काे सबसे ज्यादा दिक्कत हुई। मेडिसिन, सर्जरी, स्त्री एवं प्रसव रोग, एचडीयू मेडिसिन, शिशु रोग, हड्डी रोग विभाग में बुधवार काे दोपहर दो बजे से साढ़े तीन बजे तक कोई डॉक्टर नहीं थे। परिजन नर्सिंग ड्यूटी रूम से लेकर कंट्रोल रूम तक दाैड़ते रहे पर उनकी शिकायत किसी ने नहीं सुनीं।
आधे घंटे देर से शुरू हुआ ओपीडी में इलाज
ओपीडी में सुबह नाै की जगह साढ़े नाै बजे से इलाज शुरू हुआ। 806 मरीजाें का रजिस्ट्रेशन हुअा। जबकि सामान्य दिनाें में 2500 मरीज आते हैं। दाेपहर एक बजे के बाद आए दर्जन भर मरीजाें काे बिना इलाज वापस लाैटना पड़ा। मरीजाें की काफी लंबी लाइन लगी हुई थी। दंत विभाग, स्त्री एवं प्रसव रोग एवं ईएनटी व हड्डी विभाग में आए दर्जनभर मरीज वापस चले गए।
ईएनटी व नेत्र रोग विभाग में कोई सर्जरी नहीं हुई
शिफ्ट चेंज हाेने व काेविड टेस्ट के बहाने मरीजाें काे घंटाें इंतजार कराया गया। पिछले दाे दिनाें से लगातार यहां एेसे हालात दिख रहे हैं। बुधवार काे नवगछिया के 70 वर्षीय मरीज अपने बेटे प्रवेश के साथ दाेपहर डेढ़ बजे इमरजेंसी में आए। शिफ्ट चेंज हाेने के नाम पर पाैने तीन बजे उन्हें दवाइयां दी गयीं। मधेपुरा से अाई 36 वर्षीया महिला का देर से इलाज हुआ।
दाेपहर डेढ़ बजे के बाद आनेवाले मरीजाें का इलाज ढाई से पाैने तीन बजे के बाद ही किया गया। राहत की बात यह रही कि 21 मरीजाें के ऑपरेशन हुए, जिसमें सर्जरी में पांच बड़े ऑपरेशन हुए ताे हड्डी में छह बड़े व छह छाेटे-छाेटे ऑपरेशन हुए। जबकि स्त्री एवं प्रसव राेग विभाग में चार सर्जरी हुई। ईएनटी व नेत्र रोग विभाग में कोई सर्जरी नहीं हुई। यह हाल पीजी डाॅक्टराें की हड़ताल शुरू हाेने के दिन से ही है। हड़ताल के चलते अब मरीजाें भी कम आ रहे हैं।
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