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गांव में जाने के लिए एक अदद पुल को तरस रहे छक्कन बिगहा गांव के ग्रामीण https://ift.tt/2LigqF8

प्रखंड क्षेत्र के अईयारा पंचायत के छक्कन विगहा गांव में सड़क, शिक्षा एवं स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाओं का घोर अभाव है। हालांकि गांव अरवल-जहानाबाद एनएच 110 से महज दो किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। लेकिन गांव में लोग पगडंडी के सहारे ही जाते हैं। गांव में जाने के लिए नाले को पार करना पड़ता है।

नाले पर पुल नहीं है। ऐसे में ग्रामीणों को काफी परेशानी होती है। गांव के लोग खुद से चंदा कर चचरी का पुल निर्माण करते हैं। उसके बाद नाले को पार करके अपने गांव या बाजार आवागमन करते हैं। इन सुविधाओं के लिए ग्रामीण कई बार जन-प्रतिनिधियों एवं पदाधिकारियों से गुहार लगा चुके हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कई बार जनसभा को संबोधित करते हुए कहा है कि हर गांव एवं बसावटो में सड़क पहुंचाना सरकार का लक्ष्य है।

इसके बाद ग्रामीणों में आस जगी थी, कि इनके गांव में भी अब सड़क होगा। परंतु अभी तक इस दिशा में कोई सार्थक पहल नहीं हुई है। जब कोई आदमी बीमार पड़ता है।तो उसे अस्पताल ले जाना भी मुश्किल हो जाता है। इस गांव में नाली-गली की स्थिति भी काफी खराब है। वहां के लोग भैंसासूर आहर से होकर आवाजाही करते हैं। बरसात के दिनों में काफी परेशानी होती है। जब भैंसासूर आहर में पानी उफान पर होता है तो पगडंडी भी पानी में डूब जाता है।

जनप्रतिनिधियों से भी कई बार लगाया गुहार लेकिन किसी ने नहीं सुनी फरियाद
उनलोगों द्वारा स्थानीय जनप्रतिनिधियों से भी कई बार गुहार लगाई गई। लेकिन किसी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। स्थिति यह है कि वे लोग बाइक से भी आवाजाही नहीं करते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि जब वहां कोई बीमार पड़ता है। तो उनलोगों को झोला छाप चिकित्सकों पर भी निर्भर रहना पड़ता है। जबकि इस गांव के अगल-बगल के गांव में सड़कों का जाल फैला है।हालांकि लोग अभी भी उम्मीद लगाये बैठे हैं, कि सीएम की घोषणा जरूर रंग लाएगी। वहीं चुनाव के समय आते ही नेताओं का आना-जाना शुरू हो जाता है। नेताओं द्वारा बड़े-बड़े दावे एवं आश्वासन देकर वोट तो जरूर ले लिए जाते हैं। लेकिन उसके बाद ध्यान नहीं दिया जाता है। ग्रामीण अपने को ठगा महसूस करते हैं।

बच्चाें को पढ़ने जाने में भी होती है भारी परेशानी
लोगों को आपसी सहयोग से खाट पर लादकर मरीज को अस्पताल ले जाना पड़ता है। वहीं स्कूल आने जाने में भी बच्चों को काफी परेशानी होती है। खासकर बरसात के दिनों में चारों तरफ पानी भर जाने के कारण पगडंडी और नाला का अंतर मिट जाता है। नतीजा बच्चों के साथ हादसे का खतरा बना रहता है। बरसात का मौसम आते ही किसान खेती में जुट जाते हैं। इससे उनके पास समय का अभाव हो जाता है। नतीजा बच्चों को प्रतिदिन स्कूल पहुंचाना और लाना उनके लिए मुश्किल हो जाता है।

जिससे बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होती है। वहीं मरीजों को अस्पताल ले जाने में भी काफी कठिनाई होती है। गांव से लगभग सात किलोमीटर की दूरी पर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र करपी है। जहां आने-जाने का कोई सुलभ रास्ता भी नहीं है। ऐसे में बीमार व्यक्ति को अस्पताल ले जाना काफी मुश्किल भरा काम होता है। किसी के बीमार पड़ जाने पर गांव में ही ग्रामीण चिकित्सकों से इलाज कराना पड़ता है। कभी-कभी ग्रामीण डॉक्टरों से इलाज करवाना जोखिम भी साबित होता है। बरसात के दिनों में लोग शाम होने से पहले ही अपने घर लौट जाते हैं। खेती के लिए पटवन की भी कोई बेहतर सुविधा नहीं है।

गलत सीमांकन के कारण भी पुल बनने में हो रही है परेशानी
स्थानीय ग्रामीण नीरा सिंह ने बताया कि नाले पर पुल के लिए जिला मुख्यालय से लेकर जन-प्रतिनिधियों का दरवाजा अनेकों बार खटखटाया, लेकिन आज तक पुल नहीं बना। बरसात के दिनों में स्कूली छात्र-छात्राओं को रास्ते के अभाव में पढ़ाई प्रभावित होती है। हालांकि गांव इमामगंज बाजार से दो किलोमीटर पर ही बसा है। फिर भी सड़क नहीं रहने के कारण लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है।

कुछ ग्रामीण बताते हैं कि गलत सीमांचल का दंश गांव भुगत रहा है। गांव तो अरवल जिले में पड़ता है। यहां के ग्रामीण भी कुर्था विधानसभा से विधायक एवं जहानाबाद से सांसद चुनते हैं। लेकिन जिस जगह पर पुल का निर्माण की मांग ग्रामीण करते हैं। वह स्थान पटना जिले में पड़ता है। जिसके कारण पुल निर्माण में बाधा उत्पन्न हो जाती है। पुल निर्माण के लिए हर कोशिश कर चुके हैं। लेकिन हर बार मामला अटक जाता है।



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लोगों के आने-जाने के लिए एक बांस की चचरी बनी सहारा


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