बाणभट्ट संस्कृत टेन प्लस टू उच्च विद्यालय सकरी खुर्द खंडहर में तब्दील हो गया है। 1962 में निर्मित यह विद्यालय अपनी गौरव गाथा पर आंसू बहा रहा है। लेकिन इसे देखने वाला कोई नहीं है। शिक्षा विभाग द्वारा अनेक तरह की मॉडल स्कूल का निर्माण किया जा रहा है।
जिसमें जनप्रतिनिधियों का सहयोग अपेक्षित है। किंतु वर्षों से यह संस्कृत विद्यालय अपने तारणहार के इंतजार में खड़ा है। जिस पर किसी भी जनप्रतिनिधि का ध्यान नहीं पहुंच पाया है। कभी यह विद्यालय संस्कृत शिक्षा को लेकर क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ रहता था। अपने अतीत का गौरव गाथा संजोए बाणभट्ट संस्कृत उच्च विद्यालय सकरी आंसू बहाने पर मजबूर हो गया है। क्योंकि विद्यालय के प्रांगण में झाड़ियों का अंबार लग चुका है।
एवं दीवाल की स्थिति जीर्ण शीर्ण अवस्था में हो जाने के कारण किसी भी बिंदु से नहीं लगता है कि शिक्षा का अलख जगाने वाला यह संस्थान कभी शिक्षा का मंदिर हुआ करती थी। भारतीय संस्कृति एवं वेद पुराण का प्राचीन संस्कृत भाषा इस विद्यालय में पढ़ाया जाता था। अब भवन के अभाव में छात्र इस संस्थान में नामांकन लेना भी मुनासिब नहीं समझते हैं।
विद्यालय में है संसाधनों का घोर अभाव
संसाधन के अभाव में शिक्षकों की बैठने की जगह भी नहीं बचा है, और जो बच रहा है। वह खंडहर में तब्दील हो चुका है। सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त इस संस्कृत विद्यालय की हालत इतनी दयनीय हो गई है कि स्कूल का कागजात भी रखने का जगह प्रायः समाप्त हो चुका है। शिक्षा विभाग के द्वारा शिक्षा को लेकर तमाम घोषणाएं किया जा रहा है। परंतु इस विद्यालय को देखकर यही लगता है कि सरकार केवल कागजों पर ही नियम बनाती है। अगर ऐसा नहीं होता तो इस विद्यालय को मॉडल रूप देकर पुरानी शिक्षा को अलख जगाया जाता।
हालांकि पूर्व लोकसभा सांसद अरुण कुमार के द्वारा अपने निधि से एक कमरा का निर्माण करवाया था।उसी एक कमरा में वर्तमान समय में शिक्षक स्कूल का कागजात एवं छात्रों की अनिवार्य कागजात व्यवस्थित कर रखते हैं । बिहार संस्कृत शिक्षा बोर्ड के तहत प्रतिवर्ष प्रथमा एवं मध्यमा का फॉर्म भरा जाता है। लेकिन भवन के अभाव में पढ़ाई नहीं किया जाता है।
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