जगतपुर झील में चार पक्षियाें काे छल्ले पहनाने का कार्य शुक्रवार से वन विभाग ने शुरू किया। मंदार नेचर क्लब के अरविंद मिश्रा ने बताया कि देश के चाैथे बर्ड रिंगिंग सेंटर में झील में तैरने वाले पक्षियाें काे पकड़कर पंख, पैर, चाेंच की लंबाई और उसके वजन काे नापकर एल्युमिनियम के छल्ले लगाकर झील में छाेड़ दिया गया।
चार पक्षियों में दो मादा गिर्री यानी कॉटन पिग्मी गूज, एक प्रवासी पक्षी सरार यानी कॉमन कूट और एक प्रवासी एवं संकटग्रस्त मादा कोइरा या मंजीठा यानी फेरुजिनस डक शामिल थे। इसके जरिए पांच वर्षाें तक साइंटिस्ट इन पक्षियाें पर रिर्सच करेंगे। बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी (बीएनएचएस) के द्वारा यह सेंटर संचालित हाे रहा है।
बीएनएचएस के सहायक निदेशक डॉ. सथिया सेलवम, डीएफओ एस सुधाकर ने पहले पक्षी मादा कॉटन पिग्मी गूज को छल्ला पहनाया। जबकि मंदार नेचर क्लब व इंडियन बर्ड कंजर्वेशन नेटवर्क के स्टेट कोऑर्डिनेटर अरविन्द मिश्रा ने उसे झील में उड़ाया।
इन छल्लों में नंबर वाले कोड अंकित होते हैं और लिखा होता है कि यदि किसी व्यक्ति को ये छल्ले प्राप्त होते हैं तो इसकी सूचना बीएनएचएस को दी जाय। ताकि उस पक्षी ने कहां से कहां तक यात्रा की है, इसकी जानकारी मिल जाए। इसमें बांबे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी के साइंटिस्टाें के अलावा पुलिस, वन विभाग व कई एक्सपर्ट शामिल हुए।
पुलिसकर्मियाें व एक्सपर्ट काे इसकी जानकारी भी दी गयी। पक्षियों के इस शोध एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम में भागलपुर के क्षेत्रीय मुख्य वन संरक्षक अभय कुमार, बीएनएचएस की वैज्ञानिक डॉ. निशा सिंह, डॉ. परवीन शेख, डॉ. तुहिना कट्टी, डॉ. सोहेल मदन और डॉ.सुब्रत देबता, शोधार्थी श्रद्धा सिन्हा, वन प्रमंडल के डॉ. संजीत कुमार, वेटलैंड मित्र दीपक कुमार झुन्नू, बेदानंद यादव, जगतपुर के मुखिया प्रदीप यादव और नवगछिया की पुलिस अधीक्षक स्वप्ना जी. मेश्राम के साथ परबत्ता थानाध्यक्ष राम चन्द्र यादव की भूमिका रही।
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