16 मई को जर्मन फुटबॉल लीग ‘बुंदसलीगा’ के एक साथ 6 मुकाबले खेले गए। बिना दर्शकों के खेले गए इन मुकाबलों में खिलाड़ियों और ग्राउंड स्टॉफ समेत कुल 213 लोगों को ही स्टेडियम में आने की इजाजत थी। फुटबॉल जगत की चुनिंदा बड़ी लीगों में से यही एकमात्र लीग थी जो कोरोना के इस दौर में सबसे पहले शुरू हुई। हाल ही में स्पेनिश फुटबॉल लीग ‘ला लीगा’ का भी नाम इस लिस्ट में जुड़ा है और अगले हफ्ते से ही इटैलियन और इंग्लिश फुटबॉल लीग भी शुरू होने जा रही हैं।
यह सभी लीग बिना दर्शकों के ही खेली जानी हैं। एक सवाल ये उठता है कि जब मैच में दर्शक ही न हो तो खेलने का क्या फायदा? तो इसका सीधा सा जवाब यह है कि स्पोर्ट्स इंडस्ट्री के रेवेन्यू का एक बड़ा हिस्सा स्टेडियम के दर्शकों से नहीं बल्कि ब्रॉडकास्टिंग और खेलों से जुड़े कई तरह के कारोबार से आता है।
यही कारण भी है कि दुनियाभर के देश अब बिना दर्शकों के ही खेलों की इस दुनिया को रफ्तार देना चाहते हैं। कोरोना के कारण डगमगाती अर्थव्यवस्था और लोगों की नौकरियों को ये स्पोर्ट्स कुछ हद तक सहारा दे सकते हैं। इसके बावजूद इस साल स्पोर्ट्स इंडस्ट्री को बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है।
स्पोर्ट्स वैल्यू की एक रिपोर्ट के मुताबिक, खेल जगत को इस साल कोविड-19 के कारण 1 लाख 21 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान उठाना होगा। ईएसपीएन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अकेले अमेरिका में ही 9 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान होगा। भारत में स्पोर्ट्स और उससे जुड़े इंडस्ट्री का कारोबार 30 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का है। इस पर अब संकंट के बादल मंडरा रहे हैं।
ओलंपिक गेम्स टला, जापान को56 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान
साल 2013 से 2016 के बीच ओलंपिक का कुल मार्केटिंग रेवेन्यू 7.7 अरब अमेरिकी डॉलर था। इस साल इसकी ब्रांड वैल्यू करीब 12.6 अरब अमेरिकी डॉलर थी। लेकिन, कोरोना के कारण अब ये टल चुका है और अब अगले साल आयोजित होना है। इसके टलने से जापान को अकेले 56 हजार करोड़ रुपए का नुकसान उठाना पड़ेगा।
जापान की एक न्यूज एजेंसी के मुताबिक, ओलंपिक गेम्स टलने की वजह से आयोजकों को 20 करोड़ रुपएअतिरिक्त खर्च उठाना पड़ सकता है। इस नुकसान की भरपाई के लिए अगले साल होने वाले ओलंपिक के खर्च में कटौती का प्लान भी बनना शुरू हो गया है। खुद ओलंपिक आयोजन समिति के अध्यक्ष, योशीरो मोरी इस बात की पुष्टि कर चुके हैं।
आईपीएल नहीं हुआ तो बीसीसीआई को 5 हजार करोड़ रुपए का नुकसान
बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली ने पिछले गुरुवार को ही कहा कि आईपीएल के लिए सभी संभावित विकल्पों पर चर्चा की जा रही है। टूर्नामेंट को बगैर दर्शकों के भी कराया जा सकता है। यह इसलिए क्योंकि बीसीसीआई को सालाना रेवेन्यू का एक बड़ा हिस्सा आईपीएल से आता है। इस टूर्नामेंट की ब्रांड मूल्य 47,500 करोड़ रुपए है। अगर इस बार आईपीएलनहीं होता है, तो भारतीय क्रिकेट बोर्ड को 5,000 करोड़ रुपएका नुकसान हो सकता है।
आईपीएल के पूर्व सीओओ सुंदर रमन के मुताबिक, भारतीय स्पोर्ट्स इकोनॉमी में क्रिकेट का हिस्सा लगभग 85% है। इसके बाद फुटबॉल और कबड्डी की हिस्सेदारी आती है। रमन के मुताबिक, 2019 में क्रिकेट के कुल रेवेन्यू में लगभग 72% प्रसारण से, 20%प्रायोजकों से और बाकी 8%टिकट वितरण के जरिए आया था। ऐसे में बिना दर्शकों के मैच करवाना नुकसान से बचने का एक अच्छा विकल्प है।
आईपीएल को लेकर स्टार स्पोर्ट्स से 3,065 करोड़ रुपए, VIVO से लगभग 440 करोड़ रुपए और अन्य प्रायोजकों से लगभग 200 करोड़ रुपए का करार हुआ था। आईपीएल न होने की स्थिति में बीसीसीआई को ये सब नुकसान झेलना होगा।
फुटबॉल : इंग्लिश प्रीमियर लीग क्लब्स के रेवेन्यू में 85 अरब रुपए से ज्यादाकी कमी हो सकती है
यूरोपीय फुटबॉल बाजार ने साल 2018-19 में 25 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का कारोबार किया था। इसमें इंग्लिश प्रीमियर लीग के क्लबों का रेवेन्यू ही 505 करोड़ रुपए था।
डेलॉइट के एनालिसिस की मानें तो इस साल कोरोनावायरस की वजह से प्रीमियर लीग क्लबों के रेवेन्यू में लगभग 85 अरब रुपए की कमी हो सकती है। इसी एनालिसिस में यह भी सामने आया था कि इंग्लिश प्रीमियर लीग के क्लबों को 42 अरब से ज्यादा का स्थायी नुकसान हो सकता है।
स्पेनिश फुटबॉल लीग रेवेन्यू के मामले में यूरोप की दूसरी सबसे बड़ी लीग है। ला लिगा को पिछले सीजन में 4479 मिलियन यूरो (करीब 38363 करोड़ रुपए) का फायदा हुआ था। ला लीगा का सालाना टर्नओवर स्पेन की जीडीपी का 1.37% है। इससे एक लाख 85 हजार रोजगार उपलब्ध होते हैं। स्पेन को फुटबॉल इंडस्ट्री से 4.1 अरब यूरो (करीब 35 हजार 225 करोड़ रु.) का टैक्स मिलता है। यही कारण भी है कि स्पेन में कोरोना से 27 हजार से ज्यादा मौतों के बावजूद ला लीगा को फिर से शुरू कर दिया गया है।
यूएस ओपन बिना दर्शकों के हुआ तो 760 करोड़ रुपए का नुकसान
यूएस ओपन 24 अगस्त से शुरू हो रहा है। यहां भी मुकाबले बिना दर्शकों के हो सकते हैं। अगर ऐसा होता है तो यूएस ओपन के आयोजकों को 760 करोड़ रुपए का नुकसान हो सकता है।
साल का तीसरा ग्रैंड स्लैम विंबलडन पहले ही रद्द किया जा चुका है। दूसरे विश्व युद्ध के बाद यह पहली बार था, जब विंबलडन को रद्द करना पड़ा। 2017-18 में इसका रेवेन्यू 336 मिलियन अमेरिकी डॉलर था। साल का दूसरा ग्रैंड स्लैम फ्रेंच ओपन भी इस बार नहीं हो सका है।
हर साल 500 करोड़ की प्रॉफिट वाली प्रो कबड्डी लीग का आयोजन भी खतरे में
प्रो कबड्डी लीग के लिए इस साल अप्रैल में खिलाड़ियों की नीलामी होनी थी, लेकिन यह अब तक नहीं हो पाई है। इसके सीजन की शुरुआत जुलाई से होनी थी। इसके आयोजन पर भी खतरा मंडरा रहा है। आयोजकों को टूर्नामेंट से हर साल लगभग 500 करोड़ रुपए का फायदा होता है।
भारत में खेल से जुड़े सामानों की इंडस्ट्री को 4700 करोड़ रुपए का नुकसान
खेल के व्यापार और बाजार से जुड़े विशेषज्ञों की मानें तो भारत में खेल से जुड़े सामानों की इंडस्ट्री को 4700 करोड़ रुपए का नुकसान होने की आशंका है।
अन्य खेलों के मार्केट को 1500 करोड़ रु. की हानि
फुटबॉल, बैडमिंटन, शतरंज, हॉकी, टेनिस, एथलेटिक्स, टेटे, वॉलीबॉल, फेंसिंग आदि खेलों का सामान बनाने वाले कारोबारियों के 1500 करोड़ डूबने की आशंका है। निर्यात न होने से इन खेलों का सामान भी गोदामों में भरा है। स्पोर्ट्सवियर बनाने वाली कंपनियों को भी 500 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है।
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