खून को जीवन का मूल आधार कहा गया है। खून के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। रक्तदान को महादान की संज्ञा दी गई है। इसका दान करके व्यक्ति मानवता को भी ऋणी कर देता है। लेकिन गया के सरकारी और निजी नर्सिंग होम के आसपास कुछ ऐसे दलाल सक्रिय हैं जो इस वैश्विक महामारी के समय में भी जरूरतमंदों से एक यूनिट रक्त के बदले में पांच हजार से लेकर साढ़े सात हजार तक वसूल रहे हैं।
कुछ इसी तरह का एक वाक्या शेरघाटी के एक युवक के साथ हुआ। उस युवक के एक रिश्तेदार गया के एक निजी अस्पताल में भर्ती हैं। उन्हें रक्त की जरूरत पड़ी, तो गया शहर के एक दलाल ने एक यूनिट खून के लिए पांच हजार रुपए की मांग की। रोगी के परिजन और दलाल के बीच बातचीत की ऑडियो क्लिप भास्कर के पास है। इस सबंध में पूछने पर आरोपी धर्मेंद्र कुमार ने बताया कि हमलोग ब्लड नहीं बेचते हैं। हम हॉस्पिटल में रहते हैं।
लाॅकडाउन में साढ़े सात हजार रुपए तक बिका है एक यूनिट रक्त
शेरघाटी के लोदी शहीद मुहल्ले के रहनेवाला सामाजिक कार्यकर्ता आबिद इमाम ने बताया कि उनके एक रिश्तेदार मोबिना खातून गया के एक निजी अस्पताल में भर्ती हैं। चिकित्सकों ने एक यूनिट रक्त की जरूरत बताई। इसके बाद वे मेडिकल काॅलेज और ब्लड बैंक में खून के लिए पता लगाए। लेकिन उनके ब्लड ग्रुप का रक्त उपलब्ध नहीं हो सका। इसके बाद गया शहर में संचालित एक निजी नर्सिंग होम के स्टाफ बतानेवाला धर्मेंद्र कुमार से बात हुई तो वह बोला कि एक यूनिट रक्त के लिए पांच हजार रुपए लगेगा।
ऑडियो क्लिप में बातचीत के अंश
मरीज के परिजन - क्या नाम लिखते हैं भैया
निजी अस्पताल के कर्मचारी - धर्मेंद्र कुमार
मरीज के परिजन - अभी एक पेशेंट जाएंगे, उनको हम आपका नंबर दे देते हैं
निजी अस्पताल के कर्मचारी - पेशेंट कहां आएंगे हमारे यहां लाइफ लाइन में आएंगे
मरीज के परिजन - आप कौन सी हॉस्पिटल में रहते हैं।
निजी अस्पताल के कर्मचारी - लाइफ लाइन में हम रहते हैं।
मरीज के परिजन - हमको ए पॉजिटिव ब्लड की जरूरत है।
निजी अस्पताल के कर्मचारी - जो मैनेज करते हैं, उनसे पूछिए कि प्राइवेट से ब्लड ला रहे हैं, चढ़ जाएगा कि नहीं
मरीज के परिजन - अच्छा, पचपन सौ ले रहे हैं भैया कैसे होगा।
निजी अस्पताल के कर्मचारी - देखिए हमलोग ब्लड के डोनेट का कारोबार नहीं करते हैं। एक आदमी यहां आकर ब्लड डोनेट किया और पैसा लिया।
मरीज के परिजन - ब्लड में पैसा कहां लगता है भैया कि आप हमसे मांग रहे हैं।
निजी अस्पताल के कर्मचारी - हमारे यहां बचा हुआ है इसलिए 55 सौ मांग रहे हैं नहीं तो साढे सात हजार रुपए तक एक यूनिट ब्लड बिकता है।
मरीज के परिजन - हम नहीं जानते हैं भैया कि इतना पैसा लगता है
निजी अस्पताल के कर्मचारी - देखिए किसी से डोनेट भी करवाइएगा तो चार हजार, 45 सौ रुपए खर्च पकड़ेगा।
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