बाढ़ के समय होने वाली महामारी की रोकथाम की तैयारी में स्वास्थ्य विभाग अभी से जुट गया है। जिलाधिकारी की अध्यक्षता में एक समिति बनाई गई है, जो जिले में संभावित क्षेत्रों को चिह्नित करेगी। समिति में उपविकास आयुक्त, आरक्षी अधीक्षक, सिविल सर्जन, आपूर्ति, आपदा और लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग के अधिकारी सदस्य होंगे। समिति की जिम्मेदारी विभागों के बीच समन्वय स्थापित कर सरकार द्वारा बनाई गई योजना को मूर्त रूप देना है।
पानी को शुद्ध करने की होगी व्यवस्था: बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग की मदद से पेयजल स्रोतों की अभी ही पहचान की जाएगी। पहले से ही पानी को शुद्ध करने के लिए क्लोरीन की गोली और ब्लिचिंग पाउडर की पर्याप्त व्यवस्था करने की रणनीति बनाई गई है। साथ ही क्षेत्र विशेष में डेंगू, मलेरिया व कालाजार रोकने के लिए होगा डीडीटी का छिड़काव किए जाएंगे। इस संबंध में स्वास्थ्य विभाग की ओर से सभी जिलाधिकारी और सिविल सर्जनों को निर्देश दिया गया है।
बीमारी के समय इलाज करवाने के लिए किया जाएगा जागरूक: स्वास्थ्य विभाग ने बाढ़ का पानी कम होने के बाद होने वाली बीमारी और इसके उपचार के बारे में स्थानीय लोगों को जागरूक करने का निर्णय लिया है। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी और सामाजिक सरोकार रखने वाली संस्था के साथ मिलकर मॉकड्रिल और जागरुकता अभियान चलाया जाएगा।
चलंत डॉक्टरों की टीम और हॉस्पिटल ऑन बोट की होगी व्यवस्था
स्वास्थ्य विभाग जिलाधिकारी और सिविल सर्जन को दिए निर्देश में कहा गया है कि बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में चलंत डाक्टरों की टीम की व्यवस्था की जानी चाहिए। इस टीम में डॉक्टर, स्वच्छता निरीक्षक, नर्स और अन्य स्वास्थ्य कर्मी रहेंगे। उन्हें सिविल सर्जन नामित करेंगे। इस क्षेत्र में हॉस्पिटल ऑन बोट की भी व्यवस्था की जाएगी।
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