विधानपरिषद चुनाव में जीते 9 प्रत्याशी बुधवार को शपथ लेंगे। विधानपरिषद के कार्यकारी सभापति अवधेश नारायण सिंह उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलायेंगे। सोमवार को सभी 9 प्रत्याशियों (जदयू के गुलाम गौस, भीष्म सहनी, कुमुद वर्मा, भाजपा के सम्राट चौधरी व संजय मयूख, राजद के सुनील सिंह, फारुख शेख व रामबली सिंह और कांग्रेस के समीर कुमार सिंह) की निर्विरोध जीत हुई थी।
विधानसभा कोटे से विधानपरिषद की 9 सीटों के लिए जदयू-राजद ने 3-3, भाजपा ने 2 और कांग्रेस ने 1 उम्मीदवार मैदान में उतारा था। विधानसभा में सदस्य संख्या के हिसाब से सबकी जीत पहले से पक्की थी। विधानपरिषद में 9 सीटों के लिए 6 जुलाई को चुनाव होना था, लेकिन सिर्फ 9 लोगों द्वारा ही नामांकन करने के कारण चुनाव की नौबत ही नहीं आई। इसके बाद सभी का निर्विरोध चुना जाना तय हो गया था।
जीत पक्की थी: विधानसभा कोटे की 9 सीटों के विधानपरिषद चुनाव में जीत के लिए एक उम्मीदवार को कम से कम 25 विधायकों के वोट की आवश्यकता थी। अर्थात 25 विधायकों के वोट से एक उम्मीदवार की जीत तय होती। सदस्य संख्या के हिसाब से सारे उम्मीदवारों को आवश्यक मत मिलना तय था। इसीलिए केवल 9 दलीय उम्मीदवारों ने ही दावेदारी पेश की थी। इस समय विधानसभा में राजद के 80, जदयू के 70, भाजपा का 54, कांग्रेस 26 विधायक हैं।
विधानपरिषद में सदस्यों की संख्या बढ़कर 55 हुई
इन 9 सदस्यों के निर्वाचित होने के बाद 75 सदस्यीय विधानपरिषद में सदस्यों की संख्या बढ़कर 55 हो गयी है। इसके पहले 29 सदस्यों का स्थान रिक्त था और विधानपरिषद में मात्र 46 सदस्य रह गए थे। विधानसभा कोटे की इन 9 सीटों के लिए चुनाव के बाद विधानपरिषद का गणित भी बदल गया है। अब विधानपरिषद में जदयू के सदस्यों की संख्या 23, सभापति समेत भाजपा के सदस्यों की संख्या 19, राजद 6, कांग्रेस 3, हम और लोजपा 1-1, निर्दलीय सदस्यों की संख्या 2 हो गयी है।
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