एक माह से चल रहे आनंदमार्ग के साधक-साधिका का ऑनलाइन (वेबिनार) संभागीय सेमिनार संपन्न हुआ। अंतिम चरण में मधेपुरा व आस-पास के तीन हजार से ज्यादा आनंदमार्ग के साधकों ने अपने-अपने घर से सेमिनार का लाभ उठाया। सेमिनार तीन स्तर पर हुआ, जो हिंदी, बांग्ला एवं अंग्रेजी में करीब एक माह से चल रहा था। सेमिनार को संबोधित करते हुए केंद्रीय धर्म प्रचार सचिव आचार्य संपूर्णानंद अवधूत ने कहा कि सृष्टि की उत्पत्ति व जैव जीवन की उत्पत्ति के रहस्य पर से वैज्ञानिक पर्दा उठाने के लिए जो नया विज्ञान है वही माइक्रोवाइटम विज्ञान है। यह विश्व को बतलाता है कि कार्बन परमाणु से जैव जीवन नहीं आता है, क्योंकि कार्बन परमाणु असंख्य माइक्रोवाइटा कणों की रचना है। उन्होंने कहा कि आनंद मार्ग के प्रवर्तक भगवान श्री श्री आनंदमूर्ति जी ने कहा है कि चिति शक्ति (ब्रह्म) से उत्सारित रहस्यमय, सूक्ष्मतम जैविक प्राणी माइक्रो वाइटम (अणुजीवत) ही सृष्टि का मूल कारण है। माइक्रोवाइटा की प्रमुख स्थूल, सूक्ष्म और सूक्ष्मतर तीन श्रेणी है। स्थूल और सूक्ष्म माइक्रोवाइटा के धनात्मक और ऋणात्मक दोनों प्रभाव देखे जाते हैं। स्थूल माइक्रोवाइटम के ऋणात्मक प्रभाव तथाकथित विषाणु के रूप में हमलोग वैज्ञानिक स्तर पर देखते हैं। चेतनशील जीवों में जीवन की प्रतिष्ठा धनात्मक माइक्रोवाइटा करता है। मानव मन के उत्थान-पतन के पीछे धनात्मक और ऋणात्मक सूक्ष्म माइक्रोवाइटा का हाथ होता है। उन्होंने कहा कि भगवान बाबा श्रीश्री आनंदमूर्ति जी के अनुसार, वायरस एक प्रकार का स्थूल नेगेटिव माइक्रोवाइटा है। इन माइक्रोवाइटा की स्थिति सिर्फ एक्टोप्लाज्म और इलेक्ट्रॉन के बीच की है। वे न तो एक्टोप्लाज्म है और न ही इलेक्ट्रॉन है। जैसे ही पॉजिटिव माइक्रोवाइटा की सामूहिक शक्ति नेगेटिव माइक्रोवाइटम की सामूहिक शक्ति से अधिक होती है तभी आता है एक आध्यात्मिक विप्लव। आज की दुनिया में वही अधोगति की अवस्था चल रही है। ज्ञात हो कि कोरोना के चलते लोग इस बार ऑनलाइन माध्यम से इस कार्यक्रम में शामिल हुए।
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