किशनगंज जिले में सोमवार देर रात तैयबपुर स्थित महानंदा नदी के जलस्तर में अचानक वृद्धि देखने को मिली। मंगलवार सुबह नदी से सटे निचले इलाकों के ग्रामीण क्षेत्रों में जलभराव की स्थिति बन गयी थी। नदी पर स्थित जलस्तर बताने वाला पीलर भी तेज बहाव के कारण 70 मीटर का स्तर छूने लगा था लेकिन दोपहर होते-होते जलस्तर में कमी आयी। केंद्रीय जल आयोग के आंकड़ों के मुताबिक मंगलवार दोपहर तीन बजे महानंदा का जलस्तर खतरे के निशान से 0.79 मीटर ऊपर बना हुआ था जो बढ़ते हुए ट्रेंड में था। लेकिन दोपहर के बाद जलस्तर में कमी आने लगी।
जिले में पिछले दो दिनों में अधिकांश हिस्सों में वर्षा में कमी देखने को मिली है। सोमवार को गलगलिया में सर्वाधिक 32 मिमी तो मंगलवार को तैयबपुर में 48 मिमी वर्षा रिकॉर्ड की गयी। मौसम विभाग केंद्र कोलकाता के अनुसार आने वाले 3-4 दिनों में किशनगंज और आसपास के क्षेत्रों में भारी बारिश की संभावना काफी कम है। मौसम वैज्ञानिक जी के दास ने बताया कि 29 से 31 जुलाई तक हल्की से मध्यम बारिश होती रहेगी लेकिन 31 जुलाई के बाद मॉनसून की अक्षीय रेखा दक्षिण की तरफ आ जाएगी इसलिए लगातार वर्षा काफी कम हो जाएगी और धूप और उमस के कारण गर्मी बढ़ेगी। मंगलवार को शाम चार बजे तैयबपुर में महानंदा खतरे के निशान 67.22 मीटर से नीचे 66.77 पर बह रही थी।
सभी सीओ और बीडीओ को अलर्ट रहने का दिया गया निर्देश
नदियों के जलस्तर में बढ़ोतरी की सूचना के साथ ही सभी सीओ और बीडीओ को अलर्ट रहने का निर्देश दिया गया है। साथ ही उन्हें बाढ़ की स्थिति में यथोचित राहत व बचाव के निर्देश दिए गए हैं। आदित्य प्रकाश, डीएम
ड्रम का नाव बनाकर जान जोखिम में डाल नदी पार करने को विवश हैं ग्रामीण
लगातार हो रही बारिश से प्रखंड क्षेत्र के सभी नदियों का जल स्तर में वृद्धि हो गई है। रेतुआ, गोड़िया एवं कनकई नदी में बाढ़ आने से दर्जनों गांव में बाढ़ का पानी घुस गया। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में लगातार बाढ़ की पानी में वृद्धि हो रही है। नदियों के जलस्तर बढ़ने के करण कई जगह मुख्य सड़क भी कट गई है।
जिससे आवागमन बाधित हो गई है। सड़क के कटिंग पर अधिक पानी हो जाने से प्रखंड मुख्यालय एवं आसपास के गांवों का संपर्क टूट गया है। हवकोल पंचायत स्थित कुट्टि गम्हरिया में कल्वर्ट ध्वस्त हो गया। कालपीर बीबीगंज पंचायत के कई गांव में बाढ़ का पानी घुस गया है और चारों ओर जलमग्न है। मंगलवार को झुनकी पुल के ऊपर से गोड़िया नदी का पानी बह रहा था। जहां लोगों को नदी पार होने की समस्या थी। यहां नाव की व्यवस्था पहले से नहीं थी। स्थानीय लोगों ने ड्राम का नाव बनाकर लोगों को नदी पार किया।
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