शिक्षक बच्चों को पढ़ाने में कितनी अभिरुचि दिखाते हैं और अपने स्कूल के बच्चों के बारे में उनकी कितनी समझ है, अब प्रारंभिक स्कूलों को इस आधार पर भी ग्रेड मिलेगा। बिहार शिक्षा परियोजना ने प्रारंभिक शिक्षा को और धारदार व गुणवत्तापूर्ण बनाने के लिए यह पहल की है। ताकि शिक्षक अपने स्कूल व बच्चों को विकसित करने पर पूरा जोर दे सकें। विभाग की इस नई पहल की जानकारी शिक्षकों व स्कूलों के एचएम को जल्द ही दी जाएगी। ताकि प्रारंभिक शिक्षा को जिले में और भी सुदृढ़ किया जा सके। विभागीय अधिकारी ने बताया कि नई मूल्यांकन सिस्टम से स्कूल खुद को परखेंगे और अपने आप को ग्रेडिंग दे सकेंगे। स्कूलों के एचएम ने कितनी ईमानदारी से अपने स्कूल को परखा है।
प्रारंभिक स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था में सुधार को बनाया मूल्यांकन फॉर्मेट
क्रॉस चेकिंग अधिकारियों की ओर से दी गई ग्रंडिंग व स्कूल की ग्रेडिंग के मिलान के बाद किया जाएगा। शिक्षा विभाग से प्रारंभिक स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था में सुधार को मूल्यांकन फॉर्मेट बनाया है। इस फॉर्मेट में 42 बिंदू दिए गए हैं। इसमें स्कूल में उपलब्ध संसाधन, शिक्षण स्तर, बच्चों की प्रगति, अध्यापकों के कार्य, बच्चों के स्वास्थ्य व सुरक्षा, समुदाय की सहभागिता आदि पर प्वाइंट देना है। स्कूलों में अलग-अलग बच्चों की समझ अलग होती है व उसका व्यक्तित्व भी अलग होता है। उनकी क्षमता के अनुसार उसे शिक्षा देने की जिम्मेवारी शिक्षकों की है। जरूरी है कि शिक्षक बच्चों के बारे में जानकारी रखते हों। बच्चों के स्वास्थ्य व अभिभावकों की सहभागिता भी बेहतर शिक्षण व्यवस्था के लिए जरूरी है।
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