डीएम प्रणव कुमार ने सुल्तानगंज प्रखंड के गनगनिया कब्रिस्तान की घेराबंदी में गड़बड़ी को लेकर जोगसर थाने में स्थानीय क्षेत्र अभियंत्रण संगठन के तीन इंजीनियर समेत चार के खिलाफ सरकारी राशि के गबन और जालसाजी का केस दर्ज कराया था। लेकिन पुलिस की तहकीकात में उक्त मामला मानवीय भूल निकला। इस कारण आरोपी बनाए गए चारों आरोपियों को क्लीन चिट मिल सकता है। पुलिस की जांच में आया है कि क्रमांक-26 में गनगनिया कब्रिस्तान के अभियुक्ति कॉलम में खाता दरगाह लाल पीर सुल्तानगंज दर्ज होने के कारण गनगनिया कब्रिस्तान की घेराबंदी न होकर दरगाह लाल पीर कब्रिस्तान की घेराबंदी हो गई थी।
तकनीकी स्वीकृति भी दरगाह लाल पीर कब्रिस्तान में घेराबंदी निर्माण के नाम से ही गई थी। पुलिस ने इसे मानवीय भूल माना है। पुलिस ने इसका आधार डीडीसी द्वारा जोगसर थाने को उपलब्ध कराए गई जांच रिपोर्ट को बताया है। इस रिपोर्ट को प्रशासन की तीन सदस्यीय संयुक्त टीम ने जांच के बाद तैयार किया, जिसमें स्पष्ट लिखा गया है कि खाता में लाल दरगाह लेन पीर सुल्तानगंज दर्ज होने के कारण लाल पीर दरगाह कब्रिस्तान की घेराबंदी हो गई, जबकि घेराबंदी गनगनिया कबिस्तान की होनी थी। यह एक मानवीय भूल है। इस रिपोर्ट के आधार पर पुलिस अब इस केस को तथ्य की भूल की श्रेणी में लाने की तैयारी कर रही है, ताकि आरोपियों को राहत मिल सके।
यह था मामला | अक्टूबर 2019 में डीएम प्रणव कुमार ने स्थानीय क्षेत्र अभियंत्रण संगठन के तीन इंजीनियर समेत चार लोग जोगसर थाने में सरकारी राशि के गबन और जालसाजी का केस दर्ज कराया था। मामले में स्थानीय क्षेत्र अभियंत्रण संगठन के तत्कालीन कार्यपालक अभियंता मो. जहूरुल हक (बेनीपुर, दरभंगा), तत्कालीन कार्यपालक अभियंता रंजन प्रसाद समैयार (कृष्णापुरी, पटना), सहायक अभियंता ध्रुव प्रसाद मुंशी (राजगंज, धनबाद) और एल प्रसाद को आरोपी बनाया गया था। मामला सुल्तानगंज प्रखंड के गनगनिया कब्रिस्तान की घेराबंदी में गड़बड़ी से संबंधित था। आरोप था कि कब्रिस्तान की घेराबंदी कराए बिना उक्त आरोपियों ने आवंटित राशि 9.26 लाख की निकासी कर लिया।
कमरगंज के अकबर मिस्त्री के आवेदन पर डीएम ने कराई थी जांच
इस संबंध में कमरगंज के अकबर मिस्त्री ने डीएम को आवेदन दिया था, जिसकी जांच सुल्तानगंज सीओसे कराई गई थी। सीओ ने रिपोर्ट दिया था कि उक्त कब्रिस्तान की घेराबंदी नहीं की गई है। इसके बाद सदर एसडीओव भवन प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता से उक्त योजना की संयुक्त जांच कराई गई थी। दोनों अधिकारियों के संयुक्त रिपोर्ट में भी गनगनियां कब्रिस्तान की घेराबंदी नहीं होने की बात बताई गई थी। स्थल पर चहारदीवारी का अवशेष तक नहीं था। तब डीएम ने उक्त योजना से संबंधित कार्यपालक अभियंता, सहायक अभियंता और कनीय अभियंता की सूची उपलब्ध कराने का आदेश दिया था, जिसमें उक्त चारों के नाम का खुलासा हुआ था। जांच रिपोर्ट में पता चला था कि कब्रिस्तान की घेराबंदी किए 9.26 लाख की निकासी उक्त इंजीनियरों ने कर लिया, जो घोर वित्तीय अनियमितता और सरकारी राशि के गबन का मामला है। डीएम ने आदेश दिया था कि उक्त आरोपी इंजीनियरों से राशि सरकारी राशि की वसूली की जाए। साथ ही सभी के खिलाफ विभाग कार्रवाई भी शुरू की जाए। जबकि पुलिस की जांच में मामला मानवीय भूल का माना गया है और केस की फाइल को अब बंद करने की तैयारी चल रही है।
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