जिले से इस वर्ष किसी भी नियमित शिक्षक को राष्ट्रीय पुरस्कार नहीं मिलेगा। प्राथमिक से लेकर हाईस्कूलों में कार्यरत कुल 2500 नियमित शिक्षकों में से एक शिक्षक भी पुरस्कार के मानकों पर खरे नहीं उतरे हैं। मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से राष्ट्रीय पुरस्कारों के लिए जारी की गई 153 शिक्षकों की सूची में एक भी मुजफ्फरपुर के नहीं हैं। वहीं, राज्य स्तरीय कमेटी की ओर से राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए भेजी गई 6 शिक्षकों के नाम में भी कोई मुजफ्फरपुर का नहीं है। जिला स्तरीय कमेटी ने तीन शिक्षकों के नाम राज्य स्तरीय कमेटी को भेजे थे।
राष्ट्रपति पुरस्कार के लिए जिला स्तर पर केवल 9 शिक्षकों ने ही आवेदन दिया था। उनकी उपलब्धियों और मापदंडों के अनुसार, जिला स्तरीय तीन सदस्यीय कमेटी ने तीन शिक्षकों के नाम राज्य को भेजे थे। इसमें नियोजित शिक्षकों को आवेदन प्रक्रिया में शामिल नहीं किया गया था।
नेशनल अवार्डी शिक्षक बोले- केवल वर्ग में पढ़ाना ही शिक्षक की सफलता नहीं, यह उनकी व्यक्तिगत अभिरुचि का विषय
नेशनल अवार्डी शिक्षक और एक्सपर्ट डॉ. फूलगेन पूर्वे ने बताया, केवल वर्ग में बच्चों को पढ़ाना ही शिक्षक के लिए सफलता नहीं है। उन्होंने कहा, यह शिक्षकों की व्यक्तिगत अभिरुचि का विषय है। इसके लिए किसी शिक्षक को दबाव नहीं दिया जा सकता। शिक्षकों के लिए रचनात्मक, सामाजिक योगदान से लेकर बदलती जरूरतों के अनुसार खुद को ढालने और अन्य एक्टिविटीज को चयन का मानक बनाया गया है। शिक्षा के प्रति समर्पित शिक्षक का ही चयन हो सकता है। उन्होंने बताया, 6 वर्ष पूर्व सकरा के शिक्षक उमेश ठाकुर को राष्ट्रीय पुरस्कार मिला था।
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