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बॉर्डर नहीं अस्पतालों में जंग लड़े, कुर्बान हो गए मकसद वही, हम और ये देश सुरक्षित रहे https://ift.tt/33ZVwSB

आज उन सेनानियों को याद करें, जो आजादी के लिए अंग्रेजों से लड़े...जो देश की खातिर शहीद हो गए। आज देश फिर एक जंग लड़ रहा है...कोरोना से। अब तक देश में 50 हजार लोगों की मौत हो चुकी है। ये संख्या शायद कई गुना अधिक होती अगर हमारे डॉक्टर योद्धा अपनी जान जोखिम में डालकर अस्पतालों में नहीं आते। इन्हें पता था कि वे जिससे लड़ रहे हैं, वह किसी भी फौज से ज्यादा खतरनाक है। बावजूद इसके हमारी जान बचाते हुए न जाने कितने डॉक्टर कुर्बान हो गए। बिहार में इनकी संख्या 10 से अधिक है।

जानिए, उन कोरोना वारियर्स डॉक्टरों को जो अस्पताल में हमारी जान बचाने के लिए आखिर तक संघर्ष करते रहे

1. डॉ. रतिरमण झा (सीएस)

समस्तीपुर : इलाज के क्रम में संक्रमित हुए। 22 जुलाई को पटना एम्स में मौत हो गई।

2. डॉ. नागेंद्र प्रसाद

मोतिहारी : आदापुर पीएचसी में थे। कोरोना संक्रमण से 28 जुलाई को एम्स में मौत।

3. डॉ. कल्याण कुमार

आरा : शाहपुर में तैनात शिशु रोग विशेषज्ञ की कोरोना से मौत पटना एम्स में 20 जुलाई हुई।

4. डॉ. डीएन पोद्दार

कटिहार : कोरोना जांच के नोडल अफसर थे। 22 जुलाई को पटना एम्स में कोराेना से हार गए।

5. डॉ. के राजन

जहानाबाद : 10 जुलाई को संक्रमित हुए। 30 जुलाई को एम्स में अंतिम सांस ली।

6. डॉ. आरबी झा

भागलपुर : जिस मेडिकल कॉलेज में सर्जरी के एचओडी थे वहीं अंतिम सांस ली।



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Fight in hospitals, not borders, sacrifices are the same, we and these countries remain safe


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