जिले में बाढ़ से हुई क्षति का आकलन करने पहुंची दो सदस्यीय केंद्रीय टीम ने पटना से साथ आए उपनिदेशक शष्य के साथ पहले कलेक्ट्रेट सभागार में डीएम डॉ. चंद्रशेखर सिंह से पीपीटी के माध्यम से बाढ़-बरसात से हुई क्षति की जानकारी ली। उसके बाद हकीकत जानने खेतों पर गई। प्रशासन के अब तक के आकलन के अनुसार बाढ़ से जिले में 500 करोड़ से अधिक की क्षति हुई है। सर्वाधिक क्षति फसल के साथ सड़कों की हुई है। हालांकि, कितने रुपए की पूरी क्षति हुई है इसका आकलन अभी जारी है।
चावल निदेशालय के निदेशक डॉ वीरेंद्र व वित्त विभाग के अधिकारी जितेंद्र कुमार की टीम के साथ उपनिदेशक शष्य सुशील मिश्र भी सच्चाई से अवगत हुए। डीएम डॉ. चंद्रशेखर सिंह ने केंद्रीय टीम को पीपीटी के जरिए बताया कि जिले के 15 प्रखंड की 287 पंचायतें व 3156 गांवों की कुल 2266565 जनसंख्या बाढ़ से प्रभावित हुई है। बाढ़ के दौरान 6 लोगों व 15 पशुओं की मौत हुई। कुल प्रभावित कृषि क्षेत्रफल 108532.88 हेक्टेयर है जो कुल आच्छादित रकबा का 67.75 प्रतिशत है। बाढ़ के कारण पथ प्रमंडल व ग्रामीण कार्य प्रमंडल की कुल 655 सड़कें क्षतिग्रस्त हुईं।
ग्रिड में पानी घुस जाने तथा पोल गिरने से बिजली विभाग को 1 करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ। बाढ़ प्रभावित 651695 परिवारों में ₹6 हजार रुपए प्रति परिवार की दर से 535400 परिवारों के बैंक खाते में अनुदान राशि उपलब्ध करा दी गई है। इस पर टीम के निदेशक डॉ वीरेंद्र ने पानी घटने के बाद 5-10 फीसदी फसल रिकवर काे देखते हुए अपर समाहर्ता आपदा अतुल वर्मा को फिर दो दिनों में आकलन करा डीएम की अनुशंसा के बाद केंद्र को भेजने के लिए कहा।
देर शाम तक कुढ़नी प्रखंड के छाजन और चंद्रहटी में जारी रहा क्षति का आकलन
बैठक में पूरी जानकारी लेने के बाद केंद्रीय टीम के अधिकारी हकीकत देखने खेतों की ओर निकले। सबसे पहले कांटी प्रखंड स्थित फोरलेन के बगल में गए। वहां से बोचहा प्रखंड के उनसर व बरवोरा गांव में स्थिति देखी। कुछ ग्रामीणों ने अबतक ₹6000 रुपए नहीं मिलने की शिकायत भी की। आगे बढ़ते हुए टीम ने गायघाट के रामनगर, भुसरा, कटरा प्रखंड के धनौर गांव के आसपास हुई क्षति का आकलन किया।
इसके बाद भी वापस लौटने के दौरान टीम के अध्यक्ष डॉ. वीरेंद्र ने कुढनी प्रखंड में फसल क्षति की स्थिति दिखाने को कहा। कुढ़नी प्रखंड के छाजन हरिशंकर पूर्वी तथा चंद्रहटी पंचायत में फसलों की हुई क्षति का टीम ने अवलोकन किया। टीम के अध्यक्ष ने फसलों की अत्यधिक क्षति होने की बात मानने के बाद भी एक बार फिर से फसल क्षति का सर्वेक्षण करा रिपोर्ट भेजने को कहा।
कटरा में परियाेजना बांध के भीतर बसे परिवाराें को अब तक पुनर्वासित न किए जाने पर केंद्रीय टीम ने उठाए सवाल
कांटी, बाेचहां, गायघाट व कटरा के बाढ़ प्रभावित इलाकाें का जायजा ले रही केंद्रीय टीम से मझौली पंचायत के तमोलिया व उनसर पंचायत के लोगों ने कहा कि बाढ़ के पानी से खेत में लगी फसल डूब गई, घरों में भी बाढ़ का पानी प्रवेश कर गया। सभी लोग किसी तरह सड़क किनारे प्लास्टिक टांग कर गुजर-बसर किए, लेकिन अभी तक सरकार से मिलने वाली सहयोग राशि 6000 रुपए नहीं मिली।
स्थानीय प्रशासन एवं जिला प्रशासन को केंद्रीय टीम ने अति शीघ्र अनुदान राशि भेजने का निर्देश दिया। उनसर पंचायत के मुखिया रंजीत कुमार सिंह ने बताया कि 50 फीसदी लोगों को राशि नहीं मिलने के कारण लोगों में आक्रोश है। टीम द्वारा आश्वासन मिला है कि जल्द ही खाते में राशि भेज दी जाएगी। कांटी के कोल्हुआ पैगंबरपुर पंचायत के बाढ़ प्रभावित गांवों समेत अन्य क्षेत्रों का दौरा टीम ने किया। लोगों से नुकसान की जानकारी ली। गायघाट में केन्द्रीय टीम सिर्फ ग्यासुद्दीनपुर में सड़क किनारे रुक मत्स्य पालन के लिए बने पोखर को देखा।
पूछा- जब पर्याप्त राशि है तो पुनर्वास के लिए क्यों नहीं दी
गायघाट प्रखंड की सभी पंचायतों के किसान काफी खुश थे, लेकिन दिन भर के इंतजार के बाद ग्यासुद्दीनपुर से टीम के कटरा जाने की जानकारी पर वे मायूस हो गए। टीम के साथ बीडीओ डाॅ. विमल कुमार व सीओ राघवेन्द्र राघव भी थे। कटरा में केंद्रीय टीम ने पहले प्रखंड कार्यालय में समीक्षा बैठक की। कटरा परियोजना बांध का निरीक्षण व बकुची पीपा घाट पर पहुंचकर लोगों से रूबरू हुए।
टीम ने परियोजना बांध के भीतर बसे परिवार को बांध के बाहर अब तक शिफ्ट नहीं किये जाने पर सवाल उठाए। एसडीओ कुंदन कुमार ने पुनर्वास की राशि लंबित होने की बात कही तो कहा कि जब पर्याप्त राशि उपलब्ध है, तो पुनर्वास की राशि लंबित क्यों है। सीओ सुबोध कुमार एवं एसडीओ ने संयुक्त रूप ने जल्द ही पुनर्वास की राशि भुगतान करवाए जाने की बात कही।
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