वैश्विक कोरोना संक्रमण के चलते इस साल मुहर्रम में सड़कें वीरान रही। नगरपंचायत सहित प्रखंड के विभिन्न क्षेत्रों में लोगों ने घर में ही रहकर कर्बला के शहीदों को याद किया।
मुहर्रम की 10वीं तारीख यानि रविवार को योमे अशूरा को निकलने वाले गश्ती, मातम और अखाड़ा (इमामबाड़ा) से निकलने वाला शाही जुलूस कोरोना के कारण स्थगित रहा। राज्य सरकार के निर्देश व प्रशासन की सख्ती के कारण लोग इमाम हुसैन और कर्बला के शहीदों के गम को नहीं मना सके।
इस तरह नगर व प्रखंड में पैगम्बर हजरत मोहम्मद साहब के नवासे हजरत इमाम हुसैन व उनके 72 साथियों की शहादत की याद में मनाए जाने वाले मुहर्रम पर्व बगैर जुलूस के शांति पूर्ण वातावरण में संपन्न हो गया। इस बार ताजिया कर्बला में नही लेकर जाया गया फूल माला शेहरा को ताजिया कमेटी और अखाड़ा कमेटी के द्वारा पहलाम कर दिया गया। पहलाम को लेकर पुलिस प्रशासन द्वारा चाक-चौबंद व्यवस्था की गई थी।
महामारी को लेकर प्रशासन के निर्देश के कारण इस बार विभिन्न अखाड़ों द्वारा जुलूस नहीं निकाली गई है। प्रखंड के विभिन्न गांवों में ताजिया का पहलाम रविवार कि रात जबकि कुछ गांव व नगर क्षेत्र के पांचू गढपर, बडी मस्जिद, मकबरा चौक, अंदर बजार अन्य सहित अखाड़ा कमेटी के कुछ लोग सोमवार को देर रात तक पहलाम कर दिया।
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