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जदयू-भाजपा ने हरिवंश पर हमले को बिहार के अपमान से जोड़ा, विपक्ष कृषि बिल को चुनावी मुद्दा बनाने में जुटा https://ift.tt/35Y3PzA

उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी व जदयू सांसद आरसीपी सिंह ने राज्यसभा में उपसभापति हरिवंश पर हमले को संसद और बिहार का अपमान बताया। मोदी ने कहा कि इस विधेयक को लेकर राजद एवं कांगेस के सदस्यों ने राज्यसभा में उपसभापति हरिवंश के साथ जो अमर्यादित व्यवहार किया है, उससे बिहार की मर्यादा को ठेस पहुंची है। उसका खामियाजा उन्हें बिहार में भुगतना होगा।

कहा- कृषि सुधार बिल का वही लोग विरोध कर रहे हैं, जो बिचौलियों के समर्थक हैं और किसानों को भ्रष्टाचार व शोषण के दलदल से निकलने देना नहीं चाहते हैं। एनडीए की तत्कालीन सरकार ने तो 2006 में ही बिहार कृषि उत्पादन बाजार समिति एक्ट को समाप्त कर दिया था, राजद के लोगों ने तब भी इसका विरोध किया था।

किसानों की उपज को बाजार समिति के प्रांगण में ही बेचने की बाध्यता किसानों का शोषण है। बिहार देश का पहला राज्य है, जिसने शोषण से किसानों को मुक्त कराने के लिए एपीएमसी एक्ट को 14 साल पहले खत्म किया।
समर्थन मूल्य पहले की तरह होगी जारी: पूछा- राजद जिस तरह से बिल का विरोध कर रहा है, वैसे में बताएं कि क्या वह बिहार में फिर से बाजार समिति कानून लागू करना चाहता है? विपक्ष दुष्प्रचार कर रहा है, इस बिल के आने के बाद समर्थन मूल्य पर खरीद बंद हो जाएगी, जबकि प्रधानमंत्री ने स्पष्ट कर दिया है कि समर्थन मूल्य पर खरीद पहले की तरह आगे भी जारी रहेगी। कंट्रैक्ट फार्मिंग का समर्थन करते हुए कहा कि इससे किसान अपनी फसल सीधे कंपनियों को बेच सकेंगे। इसके तहत कंपनी और किसानों के बीच एग्रीमेंट होगा, जिससे कोई कंपनी किसान को धोखा नहीं दे सकेगी।
हमला विपक्ष की अराजक सोच का परिणाम: आरसीपी सिंह ने कहा कि संसदीय परंपरा में इसे कभी भी स्वीकार नहीं किया जा सकता। हरिवंश पर हमला किया गया, संवैधानिक मर्यादाओं को तार-तार किया गया। लोकतंत्र में विरोध के स्वर कभी अस्वीकार्य नहीं होते मगर विरोध जब अराजकता में बदल जाए, तो उसका प्रतिकार जरूरी हो जाता है।

हमला विपक्ष की इसी अराजक सोच का परिणाम है। इधर, प्रदेश जदयू के मुख्य प्रवक्ता संजय सिंह ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कभी किसानी की है क्या? कभी किसी खेत में जाकर खर पतवार निकाला है? तेजस्वी और उनके भाई चावल के वह कंकड़ हैं, जो पूरे चावल का जायका खराब कर देते हैं।

राजद-माले करेंगे कृषि बिल के खिलाफ 25 को जिलों में प्रदर्शन

महागठबंधन कृषि बिल को किसानों के लिए काला कानून बताते हुए इसे चुनावी मुद्दा बनाने में जुट गया है। राजद नेता तेजस्वी यादव ने सोमवार को जय किसान, जय बिहार, जय भारत का नारा देते हुए कृषि बिल के खिलाफ 25 सितंबर को पूर्वाह्न 11:30 बजे सभी जिला मुख्यालयों पर नेताओं एवं कार्यकर्ताओं को प्रदर्शन करने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि बिहार की खुशहाली और बेहतरी के लिए अबकी बार इस सरकार को उखाड़ फेकना होगा, तभी बिहार में फलदायक किसानी, रोजगार और उद्योगों की अच्छी फसल लहराएगी।

उनके निर्देश के बाद प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने कहा कि बिहार में वर्ष 2006 में ही एपीएमसी काे बंद कर दिया गया, जिसका परिणाम यह हुआ कि बिहार सरकार के कुल लक्ष्य का एक प्रतिशत भी खाद्यान्न की खरीद नहीं हो सकी। यदि एपीएमसी एक्ट में संशोधन किया गया हाेता तो बिहार के किसानों की संपन्नता दिखाई पड़ती। 2006 के बाद बिहार के किसानों की स्थिति काफी बदतर हो गई है। नतीजा, किसान खेती छोड़कर बड़ी संख्या में रोजी-रोटी की तलाश में दूसरे राज्यों में पलायन करने के लिए मजबूर हैं।
कांग्रेस ने भी खोला मोर्चा: बिहार युवा कांग्रेस ने कृषि संबंधी कानून को किसान विरोधी काला कानून बताते हुए मोर्चा खोल दिया है। सोमवार को पटना में पीएम-सीएम के पुतला दहन के मौके पर प्रदेश अध्यक्ष गुंजन पटेल ने कहा कि युवा कांग्रेस पटना के साथ विभिन्न जिलों इसका विरोध कर रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि पीएम और सीएम सुनियोजित तरीके से गरीबाें को हाशिए पर धकेल रहे हैं। प्रदेश उपाध्यक्ष मंजीत आनंद साहू ने कहा कि इस अध्यादेश के जरिए मोदी सरकार किसानों से साजिशन न्यूनतम समर्थन मूल्य के अधिकार को छीनने का प्रयास कर रही है। इस मौके पर मुकुल यादव, रोहित रिशु, बिट्टू यादव, निशांत, आरिफ नवाज, अमित, सिकंदर, मुकेश शरण, रोशन राज, अभिनव पांडे आदि मौजूद थे।
25 को किसान संगठनों के विरोध दिवस को माले का समर्थन: संसद में पारित कृषि विधेयक के विरोध में 25 सितंबर को किसान संगठनों के विरोध दिवस का भाकपा माले ने समर्थन किया है। भाकपा माले के राज्य सचिव कुणाल ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार किसान और मजदूर विरोधी है। नए कृषि विधेयक से पूंजीपतियों और जमाखोरों को लाभ होगा। किसानों को फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य भी नहीं मिलेगा।



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आरसीपी सिंह ने कहा कि संसदीय परंपरा में इसे कभी भी स्वीकार नहीं किया जा सकता। हरिवंश पर हमला किया गया, संवैधानिक मर्यादाओं को तार-तार किया गया।


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