पासपोर्ट से जुड़े वेरिफिकेशन के लिए बिहार पुलिस अब एम-पासपोर्ट एप का इस्तेमाल करेगी। इससे वेरिफिकेशन में लगने वाला समय घटेगा और आवेदकों को भी सहूलियत होगी। सभी थानों को एक-एक टैब दिया जाएगा। पूरे बिहार के लिए 1308 टैब खरीदे गए हैं। इनके इस्तेमाल के लिए पुलिसकर्मियों को प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।
बुधवार को गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव आमिर सुबहानी और डीजीपी एसके सिंघल ने एप का शुभारंभ किया। 1 नवंबर से इस एप से थानों के सत्यापन अधिकारी डिजिटल तरीके से आवेदकों के फोटो और पुलिस सत्यापन रिपोर्ट भेज सकते हैं। एम-पासपोर्ट एप से किसी व्यक्ति के विवरण फॉर्म को डाउनलोड करने तथा उसकी प्रश्नावली को प्रिंट करने की आवश्यकता नहीं रहेगी। साथ ही पुलिस सत्यापन की प्रक्रिया डिजिटल तरीके से निष्पादित की जा सकेगी।
अभी पासपोर्ट में औसतन 20 दिन लगते हैं, 1 नवंबर से लागू होगी नई व्यवस्था
पुलिस मुख्यालय के अनुसार सभी जिलों में डिजिटल एकीकृत डीपीएचक्यू मॉडल द्वारा पुलिस सत्यापन प्रक्रिया की शुरुआत से औसत समय में कमी आई है। 2015 के अंत तक पुलिस सत्यापन में 69 दिन लगते थे। इसे साल दर साल घटाते हुए 2016 में 45 दिन, 2017 में 33 दिन, 2018 में 24 दिन तथा 2019 में 20 दिन पर लाया गया है। एम-पासपोर्ट एप के लागू होने पर पुलिस सत्यापन की प्रक्रिया जल्द पूरी हो पाएगी।
डीजीपी सिंघल बोले-आम लोगों को सहूलियत होगी
डीजीपी ने कहा कि बिहार पुलिस के तकनीक के साथ बढ़ने की दिशा में यह अहम कदम है, जिसे स्पेशल ब्रांच ने शुरू किया है। इससे आम लोगों को सहूलियत होगी। स्पेशल ब्रांच के एडीजी जितेंद्र सिंह गंगवार ने कहा कि इस एप से जुड़े प्रशिक्षण का कार्यक्रम तय किया गया है। हर जिले से एक डीएसपी, 1 इंस्पेक्टर और एक सब इंस्पेक्टर को प्रशिक्षित किया जाएगा।
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