
बिहार सरकार की घोषणा के बावजूद आरा में मेडिकल कॉलेज की स्थापना पर फिलहाल ब्रेक लग गया है। बिहार सरकार ने वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय की नये कैंपस की जमीन पर मेडिकल कॉलेज बनाने का घोषणा किया है। कैबिनेट ने इस आशय का फैसला भी लिया गया। इस बीच शनिवार को विश्वविद्यालय में आहूत सिंडिकेट की बैठक में बिहार सरकार के इस फैसले को नामंजूर कर दिया गया।
सिंडिकेट ने फैसला लिया कि मेडिकल कॉलेज के लिए जमीन नहीं दी जाएगी। शनिवार को सिडिंकेट की बैठक को लेकर वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय में काफी गहमागहमी रही। विश्वविद्यालय में काफी संख्या में पुलिस-बल की तैनाती की थी। लगभग आठ घंटे चले मैराथन बैठक में मेडिकल कॉलेज के लिए भूमि बदलैन, एमबीए (स्व-वित्त पोषित पाठ्यक्रम) विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति एवं संबद्ध कॉलेजों की समस्याओं से संबंधित मामलों पर विचार-विमर्श हुआ।
सिंडिकेट के सदस्यों ने एक सिरे से भूमि नहीं देने के फैसले को अपनी मंजूरी दिया। निर्णय हुआ कि राजभवन एवं शिक्षा विभाग को विश्वविद्यालय के अस्तित्व बचाने के लिए पत्राचार किया जाएगा। आवश्यकता पड़ने पर विश्वविद्यालय कोर्ट का भी शरण लेगा। साथ ही 11 सदस्यीय एक प्रतिनिधि मंडल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात करेगा।
विश्वविद्यालय की भौतिक स्थिति से मुख्यमंत्री को अवगत कराएंगा। बताया जाएंगा कि भूमि बदलैन से विश्वविद्यालय के अस्तित्व पर खतरा मंडरा सकता है। यूनिवर्सिटी ग्रांट कमिशन से 12-बी की मान्यता समाप्त हो जाएगी। जिसका सीधा असर विश्वविद्यालय के विकास पर पड़ेगा। यूजीसी से मिलने वाला अनुदान रुक जाएगा।
असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति पर उठा सवाल
एमबीए विभाग में नए सिरे से शिक्षकों की नियुक्ति को लेकर भी मामला उठा। जिस पर कई सदस्यों ने विश्वविद्यालय द्वारा प्रकाशित की गई विज्ञापन पर ही सवाल उठा दिया। सदस्यों ने नए सिरे से बहाली लेने की मांग की। कुछ सदस्यों ने बहाली की योग्यता पर भी प्रश्न चिन्ह खड़ा किया। काफी तकरार के बाद सर्वसम्मति से चार सदस्यीय कमेटी बनाने का निर्णय हुआ।
कमेटी आवेदकों की डॉक्यूमेंट एवं एमबीए के शिक्षक की योग्यता की जांच करेगा। कमेटी में एमबीए विभाग के डायरेक्टर डॉ संजय कुमार सिंह, प्रो कुमार कौशलेंद्र, संजीव श्याम एवं देववंश सिंह को रखा गया है। गौरतलब हो कि एमबीए विभाग में शिक्षकों की नियुक्ति को लेकर इंटरव्यू होने की खबर विश्वविद्यालय के कई अधिकारियों को नहीं था।
संबद्ध कॉलेजों की समस्याओं को लेकर भी बैठक में किया गया मंथन
आठ घंटे चले लंबी बैठक में संबद्ध कॉलेजों की समस्याओं पर काफी तर्क हुआ। एएस कॉलेज बिक्रमगंज के विरूद्ध गठित जांच समिति के जांच प्रतिवेदन पर सदस्यों ने अपना-अपना पक्ष रखा। सदस्यों ने जांच प्रतिवेदन के आलोक में निलंबन एवं विभागीय कार्रवाई करने की मांग की। कई ने वरीय शिक्षक को अगले आदेश तक प्रभारी प्राचार्य नियुक्त करने का सुझाव दिया।
दूसरी तरफ बेनी सिंह कॉलेज हाटा चेनारी में शासी निकाय भंग कर तदर्थ समिति गठित करने पर भी सदन में सवाल उठा। जिस पर निर्णय हुआ कि शासी निकाय को सीधा भंग नहीं किया जा सकता है। पहले स्पष्टीकरण मांगा जाएगा, संतोषजनक उत्तर नहीं आने पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
बैठक में बीपी सिंह महाविद्यालय सिमरी, वीर कुंवर सिंह महिला कॉलेज काशी मेदनीपुर, राजर्षि शारिवाहन डिग्री महाविद्यालय भगवानपुर, कैमूर एवं जनसहकारी कॉलेज डिग्री बराप गड़हनी की समस्याओं पर भी रार-मशवरा हुआ। विभिन्न संबंद्ध महाविद्यालय के दान-दाताओं के सदस्य घोषित करने एवं गत बैठकों सम्पुष्टि पर विचार हुआ।
बॉयोमेट्रिक से अगस्त का वेतन देने पर शिक्षक संघ ने जतायी नाराजगी
अगस्त माह का वेतन बॉयोमेट्रिक के आधार पर दिए जाने की बात कुलसचिव कर्नल श्यामानंद झा द्वारा कहे जाने पर वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय शिक्षक संघ ने विरोध जताया है। संघ ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि जब 18 अगस्त को विश्वविद्यालय प्रबंधन ने सभी पीजी विभाग, स्व वित्त पोषित विभाग, नूतर परिसर स्थित परीक्षा विभाग, अंगीभूत एवं संबंध महाविद्यालय को सुरक्षा और संक्रमण की भयावह स्थिति को देखते हुए 6 सितंबर तक बंद करने का आदेश निर्गत किया था तो पीजी हेड सहित अन्य कर्मचारी कहां जाकर बॉयोमेट्रिक से हाजिरी लगाए गए?
कुलसचिव का इस तरह का बयान देना काफी बेतुका लग रहा है। महासचिव डॉ अरूणकांत सिंह एवं डॉ किस्मत कुमार सिंह ने कहा कि कुलपति प्रो देवी प्रसाद तिवारी के प्रत्येक निर्णय के साथ संघ हमेशा खड़ा रहा है और रहेगा। ऑनलाइन वर्ग संचालन, परीक्षा एवं कोई भी शैक्षणिक कार्य के लिए शिक्षक हमेशा ही सहयोग करते आए है। परन्तु कुलसचिव द्वारा बॉयोमेट्रिक को लेकर इस तरह का पत्र जारी करने से कहीं न कहीं शिक्षकों के बीच काफी आक्रोश है।
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