बिहार स्वाभिमान आंदोलन द्वारा आयोजित वेबिनार कटिहार कल, आज और कल शीर्षक पर बातचीत हुई। कार्यक्रम में शिक्षाविद्, बुद्धिजीवी व समाजसेवी शामिल हुए। कार्यक्रम का समायोजन अमित कुमार ने किया। कार्यक्रम में कटिहार के गौरवशाली अतीत और उसके विश्व पटल पर प्रतिष्ठा की चर्चा की गई। राज्य व देश में कटिहार की प्रतिष्ठा काफी रही है।
केवल शिक्षा के क्षेत्र में नहीं, बल्कि राजनीति, कूटनीति, सामरिक शक्ति, संस्कृति, धार्मिक, अध्यात्मिक, पर्यटन, तीर्थाटन, कृषि के लिए भी विख्यात रहा है। प्रो. भरत शर्मा ने कहा कि कालांतर में बिहार को शिक्षित बनाने व चहुंओर ज्ञान की ज्योति फैलाने में भी कटिहार का श्रेष्ठतम योगदान रहा है। प्रो. विनोद ओझा ने कहा कि कटिहार का इतिहास बहुत गौरवशाली रहा है।
उन्होंने कहा कि प्राचीन समय में कटिहार ज्ञान, कृषि और पर्यटन के क्षेत्र में आज से अधिक विकसित रहा है। समाजसेवी अनिल चमड़िया ने कहा कि कटिहार में कई ऐसे पर्यटन स्थल- कोढ़ा में कामाख्या स्थान, बरारी स्थित लक्ष्मीपुर गुरुद्वारा, आजमनगर में गोरखनाथ मंदिर, मनिहारी में गोगा झील शामिल है। अच्छी सड़कों का निर्माण, साफ-सफाई, जल निकासी की उत्तम व्यवस्था और कानून व्यवस्था को मजबूत कर पर्यटन को बढ़ाया जा सकता है।
पर्यटन को एक उद्योग के रूप में विकसित कर कमा सकते हैं राजस्व
डॉ. अनवर इराज ने कहा कि कटिहार में पर्यटन को एक उद्योग के रूप में विकसित कर इतना राजस्व मिल सकता है। जिससे जिले की अर्थव्यवस्था को मजबूती दी जा सके। कार्यक्रम के संचालक वरिष्ठ साहित्यकार प्रवीण कुमार के एक सवाल का उत्तर देते हुए कटिहार के समाजसेवी अनिल चमड़िया ने कहा कि देश में कटिहार की अलग पहचान है। कुछ दशकों में विकास कार्य हुए हैं, लेकिन कटिहार के गौरव को प्रतिष्ठित करने के लिए जिस प्रकार की राजनीतिक सोच की आवश्यकता थी वह नहीं हो सकी है।
यहां की राजनीति में कटिहार के गौरव को विश्व पटल पर प्रतिष्ठित करना कभी भी चुनावी मुद्दा नहीं रहा है। उन्होंने युवा पीढ़ी को स्वर्णिम अतीत का गौरव बोध कराने व सामाजिक स्तर पर गौरव यात्रा निकाले जाने की बात कही। उन्होंने कहा कि जिले की 85% आबादी कृषि पर ही आश्रित है। जिले में धान, पाट, गेहूं, केला, आलू, मखाना, मकई आदि फसलें होती हैं। इन कृषि उत्पादों पर आधारित उद्योगों की कटिहार में अपार संभावनाएं हैं।
इससे कटिहार को पुराने दिनों की तरह पुनः औद्योगिक नगरी का दर्जा मिल सकता है। वक्ताओं ने कटिहार को प्रतिस्थापित करने के लिए युवा पीढ़ी व बुद्धिजीवियों को व्यक्तिगत स्तर पर प्रयास करने की बात कही। ज्ञात हो मार्च से अब तक बिहार स्वाभिमान आंदोलन बिहार के समसामयिक मुद्दों कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य, विस के चुनावी मुद्दे, बिहार के गौरवशाली इतिहास, जागरूकता, रोजगारपरक व स्वरोजगार के संबंधित 131 वर्चुअल परिचर्चा हो चुकी है।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3jlXVLu
0 Comments
Please do not enter any spam link in the comment box