(रविन्द्रनाथ कुमार) प्रखंड की लगभग ढाई लाख की आबादी को चिकित्सीय सुविधा उपलब्ध कराने के रेफरल अस्पताल में मूलभूत सुविधाओं की कमी है। अस्पताल में स्वास्थ्य विभाग द्वारा डेढ़ साल पहले 10 लाख की लागत से लगाई गई अल्ट्रासाउंड मशीन शोभा की वस्तु बन गई है। रेडियोलाॅजिस्ट नहीं रहने से अल्ट्रासाउंड कक्ष में 10 माह से ताला लटका हुआ है और मरीजों को बाहर से अल्ट्रासाउंड कराना पड़ रहा है। या डॉक्टर उन्हें मायागंज या सदर अस्पताल भागलपुर रेफर कर रहे हैं।
मशीन लगने के बाद तत्कालीन अस्पताल प्रभारी डाॅ. कुंदन भाई पटेल को अल्ट्रासाउंड ऑपरेटर करने की ट्रेनिंग दरभंगा में दी गई थी। लेकिन 15 जनवरी को उनकी प्रतिनियुक्त जिले में कर दी गई। तब से यह सुविधा यहां बंद है। अस्पताल प्रभारी डॉ. उषा कुमारी सहित सिर्फ तीन एमबीबीएस डॉक्टर प्रतिनियुक्त हैं।
हालात यह है कि इमरजेंसी सेवा आयुष डॉक्टरों के जिम्मे है। ऐसे में मरीजों को यहां से रोजाना भागलपुर रेफर किया जा रहा है। अस्पताल में मूलभूत सुविधा बढ़ाने की कोशिश विभाग द्वारा समय-समय पर बयानबाजी कर जरूर कहा जाता रहा, लेकिन धरातल पर उसे आज तक मूर्तरूप नहीं दिया जा सका है। डाॅक्टरों की कमी की समस्या से जूझ रहे इस अस्पताल का कायाकल्प करने की बात हवा-हवाई है। दिल्ली और पटना की स्वास्थ्य टीम भी अस्पताल की दुर्दशा का आकलन कर चुकी है, लेकिन नतीजा शून्य है।
तीन में एक डॉक्टर की ड्यूटी सप्ताह में सिर्फ एक दिन
अस्पताल में सिर्फ तीन एमबीबीएस डॉक्टर हैं। इसमें से एक डाॅ. उषा कुमारी के जिम्मे अस्पताल का प्रभार है। दूसरे डाॅ. अतुल कुमार की ड्यूटी सप्ताह में एक दिन के लिए है। तीसरे डाॅ. माे. शाहीर नवाज पिछले 18 अक्टूबर के बाद से अस्पताल नहीं आए हैं। अस्पताल प्रबंधन के अनुसार वे अवकाश पर चले गए हैं। इसके अलावा डेंटिस्ट डाॅ. मुकेश चौरसिया की ड्यूटी सप्ताह में एक दिन ही है। इस कारण आए दिन तीन आयुष चिकित्सक ही मरीजों का इलाज करते हैं।
अस्पताल की इमरजेंसी सेवा भी आयुष चिकित्सकों के भरोसे है
रेफरल अस्पताल में आउटडोर में रोज 250- 300 मरीज इलाज के लिए आते हैं। वहीं 50-60 इमरजेंसी मरीज आते हैं। इन मरीजों का इलाज आयुष डाॅक्टर के जिम्मे है। तीन शिफ्ट में आयुष चिकित्सक डॉ. रामानंद पासवान, डाॅ. सुनील पोद्दार और डॉ. रेणु सिंह की ड्यूटी लगाई जाती है।
डॉ. रामानंद पासवान ने बताया कि पिछले कई माह से सप्ताह में दो दिन 24 घंटे ड्यूटी करनी पड़ती है। साथ ही आउटडोर व्यवस्था भी देखनी पड़ती है। उन्होंने बताया कि सप्ताह में एक दिन हमें एपीएचसी कुमैठा मिश्रपुर भी जाना पड़ता है। जबकि डाॅक्टर सुनील पोद्दार को करहरिया और डाॅक्टर रेणु सिंह को गनगनिया स्वास्थ्य केंद्र में भी ड्यूटी करनी पड़ती है।
रेडियोलॉजिस्ट के लिए विभाग को भेजा गया है प्रस्ताव
^अस्पताल में अल्ट्रासाउंड सुविधा को चालू करने के लिए रेडियोलॉजिस्ट की प्रतिनियुक्ति को विभाग को प्रस्ताव भेजा गया है। उम्मीद है कि जल्द ही वहां रेडियोलॉजिस्ट की नियुक्ति की जाएगी। इसके बाद मरीजों को अल्ट्रासाउंड की सुविधा मिलने लगेगी। रेफरल अस्पताल में डॉक्टरों की भी कमी है। इसके लिए भी सरकार को प्रस्ताव भेजा गया है।
-डॉ. विजय कुमार, सिविल सर्जन
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