बिहार में जिलों के विकास की रैंकिंग की जाए तो सबसे निचले पायदान पर होगा किशनगंज। इसे सिर्फ चुनाव के दिनों में ही याद किया जाता है। बाकी दिन जिले का क्या हाल है? इससे किसी को ज्यादा मतलब नहीं होता। यहां अधिकांश आबादी गरीबी रेखा के नीचे गुजर-बसर करती है। छोटी-छोटी मूलभूत सुविधाओं के लिए भी लोग तरस रहे हैं। न तो ढंग के शिक्षण संस्थान हैं, न ही अच्छे अस्पताल। रोजगार का भी बुरा हाल है।
सबसे ज्यादा गंभीर बात तो यह है कि युवा पीढ़ी क्राइम और शराब तस्करी की चपेट में है। इन्हीं सब हालातों के कारण यहां के ज्यादातर लोगों के अंदर गुस्सा भी बढ़ रहा है। लेकिन रोजी-रोटी के चलते खुलकर कोई भी सामने नहीं आना चाहता। सिस्टम से कौन पंगा ले और कौन पहले आवाज उठाए? यही सोचकर सब खामोशी से सबकुछ सहते जा रहे हैं। और जनता की इसी खामोशी का फायदा नेता उठा जाते हैं।
सारे जरूरी मुद्दे गौण हो जाते हैं और रह जाता है तो सिर्फ ध्रुवीकरण। यहीं किशनगंज में जीत और हार भी तय करता है। मजे की बात तो यह है कि यहां के लोग जितने सीधे-सादे हैं, राजनेता उतने ही चतुर। यही कारण है कि बहुफसला जमीन, नदियों का जाल, भरपूर बारिश और शानदार आबोहवा का जितना फायदा किसानों को नहीं मिल पा रहा है, उससे अधिक फायदा निष्क्रिय नेता उठा रहे हैं। जिले के लोगों का मुख्य पेशा खेती है। जानिए सीटों का हाल:-
यहां के लोग जितने सीधे-सादे हैं, नेता उतने ही चतुर
किशनगंज: यह सीट कांग्रेस की परंपरागत सीट रही है, पर 2019 में हुए उपचुनाव में अोवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने यह सीट कांग्रेस से छीन ली। इस बार एआईएमआईएम के निवर्तमान विधायक कमरुल होदा का मुकाबला कांग्रेस के इजहारुल हसन के साथ है। तीन बार किस्मत आजमा चुकी भाजपा नेत्री स्वीटी सिंह भी मैदान में है।
कोचाधामन- यहां दो बार से विधायक रहे जदयू के मुजाहिद आलम का मुकाबला एआईएमआईएम के इजहार असफी व राजद के शाहिद आलम से है। जदयू जहां विकास के मुद्दे पर मैदान में है वहीं अन्य दल बदलाव के नारे के साथ। बाढ़ के साथ ही शिक्षा, स्वास्थ्य व पलायन यहां की प्रमुख समस्या है जो इस बार के मुद्दों से गायब है।
बहादुरगंज: यहां चार बार से लगातार विधायक रहे कांग्रेस नेता तौसीफ आलम की छवि दबंग राजनेता की रही है। लेकिन इस बार उनकी राह एआईएमआईएम के अंजार नईमी और वीआईपी के उम्मीदवार लखनलाल पंडित रोकने की कोशिश में हैं। इस सीट पर सब दिन भाजपा लड़ती रही। लेकिन इस बार एनडीए ने यह सीट वीआईपी को दे दी।
ठाकुरगंज: यहां से लगातार दो बार विधायक व जदयू के विधानसभा में सचेतक रहे नौशाद आलम की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। उनके खिलाफ यहां से राजद ने दो बार सांसद व देश दुनिया में बड़े धार्मिक स्कॉलर के रूप में विख्यात रहे मरहूम मौलाना असरारुल हक कासमी के बेटे सउद आलम को उम्मीदवार बनाया है। इन दोनों के बीच निर्दलीय के तौर पर पूर्व विधायक गोपाल अग्रवाल भी चुनाव मैदान में हैं। इस कारण यहां मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है।
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